चंडीगढ़:उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि प्रदेश सरकार मॉनसून सत्र में पंचायती राज से जुड़े महत्वपूर्ण विधेयक राइट टू रीकॉल को लेकर आने वाली थी. जिसके तहत पंचायतों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण, बीसी-ए वर्ग को पंचायत चुनाव में आठ फीसदी आरक्षण का प्रावधान है. इस विधेयक को लेकर नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सदन में चर्चा की मांग की है. जिसके बाद इस विधेयक को आगामी विधानसभा सत्र तक रोक लिया गया है.
दुष्यंत चौटाला ने बताया कि कोरोना की स्थिति सामान्य होने पर स्पीकर सदन को दोबारा बुलाएंगे और तब इस विधेयक को व्यापक चर्चा के बाद पास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पंचायतों के विकास की दिशा में ये महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है.
राइट टू रीकॉल विधेयक पर विपक्षी नेताओं के सवाल पर दुष्यंत चौटाला ने कहा कि राज्य सरकार काम ना करने वाले सरपंचों को हटाने के लिए इस बिल के जरिए ग्रामीण वोटरों को पावर देगी. जबकि पहले रीकॉल का राइट पंचायत के सदस्यों यानी पंचों के पास ही था. साल 1999 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल ने पंचायती राज से राइट टू रीकॉल की व्यवस्था को हटा दिया था.
इनेलो नेता अभय सिंह के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर वे गंभीर नेता होते तो एक एक्ट के बाद दूसरे एक्ट में हुए बदलावों का ज्ञान रखते. दुष्यंत चौटाला ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल का सपना 'राइट टू रीकॉल' को विधायक-सांसदों पर भी लागू करने को लेकर वो केंद्र में अवसर मिलने पर जरूर काम करेंगे. उन्होंने कहा कि प्रदेश में सबसे बड़ी ताकत पंचायती राज है. इसलिए गांवों के विकास के लिए ग्रामीणों को राइट टू रीकॉल का अधिकार देने जा रहे हैं.
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डिप्टी सीएम ने प्रदेश के युवाओं को 75 प्रतिशत निजी क्षेत्र की नौकरियों देने संबंधित सवाल का जबाव देते हुए जानकारी दी कि उस बारे में तैयार अध्यादेश राज्यपाल के जरिये राष्ट्रपति के पास गया हुआ है. आने वाले दिनों में उस अध्यादेश को वापस लेकर मजबूत बिल लाने का रास्ता बनाया जाएगा. दुष्यंत चौटाला ने बताया कि बिल लाने के लिए अध्यादेश को वापस लेना जरूरी है और इसके लिए फैसला कैबिनेट मीटिंग में ही हो सकता है. डिप्टी सीएम ने कहा कि इसी तकनीकी दिक्कत की वजह से इस सत्र में युवाओं के निजी नौकरियों में आरक्षण का बिल नहीं आ पाया.