चंडीगढ़:हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा (bhupinder singh hooda) ने सरकार को चेताया है कि कोरोना वायरस(Corona Virus) की दूसरी लहर भले ही धीमी पड़ गई हो लेकिन सरकार इसे अपनी विजय ना माने और तीसरी लहर की तैयारी अभी से शुरू कर दे.
चंडीगढ़ में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग(video conferencing) के जरिए पत्रकारों से बातचीत करते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार कोरोना की दूसरी लहर से निपटने में पूरी तरीके से विफल रही है. प्रदेश में ऑक्सीजन(oxygen), बेड की भारी किल्लत थी, यदि सरकार समय रहते तैयारी करती तो हालात खराब नहीं होते.
उन्होंने कहा कि सरकार को अपनी भी विफलता स्वीकार करनी चाहिए. हम भी सहयोग करने को तैयार है, जब भी सरकार पर सवाल उठते हैं तो समाधान और जवाब सरकार को ही देना होता है, यदि सरकार अपनी कमियों का आकलन करेगी तो प्रदेश को फायदा होगा.
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हुड्डा ने बढ़ती बेरोजगारी पर कहा कि सीएमआई(CMI) की रिपोर्ट में सामने आया है कि हरियाणा देश में बेरोजगारी में प्रथम स्थान पर आ गया है. हुड्डा ने आरोप लगाया कि खबरों के अनुसार लोग लगतर ब्लैक फंगस से मर रहे हैं जबकि ब्लैक फंगस की दवा मार्कीट में ब्लैक हो रही है.
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नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरोप लगाया कि करोना को लेकर कांग्रेस ने प्रदेश में सरकार से टास्कफोर्स के गठन की मांग की थी, लेकिन सरकार ने उसे खारिज कर दिया. यदि सरकार टास्क फोर्स का गठन कर देती तो कोरोना महामारी से बेहतर तरीके से निपटा जा सकता था. हुड्डा ने कहा कि करोना महामारी से निपटने के लिए वैक्सीनेशन ही एकमात्र उपाय है, यदि दवा की पहली डोज भी लग जाती है तो इससे 70 फीसदी तक बचाव होता है, लेकिन जिस रफ्तार से प्रदेश में वैक्सीनेशन का काम चल रहा है उससे पूरे प्रदेश को डोज लगाने में काफी वक्त लग जाएगा.
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इस दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी जिसमें मुख्यमंत्री ने हुड्डा की ओर से लिखे गए पत्र की भाषा को जवाब देने लायक नहीं बताया था. हुड्डा ने कहा कि उन्होंने अपने खत में जनता के सवाल उठाए थे. लोकतंत्र में नेता विपक्ष की सवैधानिक जिम्मेवारी जनता के सवाल उठाना होती है और उन्होंने अपनी उसी जिम्मेवारी का निर्वहन किया है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वायरस को लेकर हालात ज्यादा खराब है. ना तो वहां पर ज्यादा टेस्ट हुए हैं और लोग भी टेस्ट करवाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं.