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जानिए महाराजा सूरजमल का असल इतिहास, जिस वजह से पानीपत फिल्म पर मचा है बवाल

आशुतोष गोवारिकर की फिल्म 'पानीपत' को लेकर राजस्थान में विवाद तेज होता जा रहा है. फिल्म को लेकर प्रदेशभर के जाट समाज के लोगों ने फिल्म का विरोध करना शुरू कर दिया है. आखिर क्या है महाराज सूरजमल का असल इतिहास इस खबर में जानिए.

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जानिए महाराजा सूरजमल का असल इतिहास

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Published : Dec 10, 2019, 1:29 PM IST

चंडीगढ़/भरतपुर:मराठा और अफगान आक्रांता के बीच हुए पानीपत के तीसरे युद्ध पर आधारित आशुतोष गोवारिकर की फिल्म 'पानीपत' में भरतपुर के महाराजा सूरजमल का गलत चित्रण करने के विरोध में विवाद और तेज हो गया हैं.

मूवी में महाराजा सूरजमल को आगरा का किला मांगते हुए दिखाया गया है, साथ ही महाराजा सूरजमल को बृज भाषा के बजाय हरियाणवी भाषा में बात करते हुए दिखाया गया है. इसको लेकर जहां पूरे राजस्थान भर में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, वहीं भरतपुर के इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने भी इसका पुरजोर विरोध किया है.

जानिए महाराजा सूरजमल का असल इतिहास

महाराजा सूरजमल ने नहीं मांगा था आगरा का किला
इतिहासकार वर्मा ने बताया कि महाराजा सूरजमल द्वारा सदाशिव राव भाऊ से आगरा का किला मांगना तो दूर बल्कि भाऊ को उनकी सेना का वेतन देने के लिए 5 लाख रुपए देने तक की पेशकश की थी, लेकिन वो नहीं माने. इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने बताया कि भाऊ को महाराज सूरजमल ने युद्ध से संबंधित कई सलाह दी थी, लेकिन उन्होंने एक भी नहीं मानी.

साथ ही सदाशिव भाऊ के पास अपनी सेना का वेतन देने के लिए पैसे नहीं थे. ऐसे में भाऊ ने दीवान-ए-खास को तुड़वाने की बात कही, जिसका विरोध करते हुए महाराजा सूरजमल ने कहा था कि यह हिंदुस्तान की धरोहर है और इसको ना तुड़वाईये, लेकिन भाऊ नहीं माने और दीवान-ए-खास को तुड़वा दिया.

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बहुत ही दानशील व्यक्ति थे भरतपुर के महाराजा सूरजमल

उसके बाद भी भाऊ के पास सेना को देने के लिए सिर्फ 3 लाख रुपए ही जुट पाए. जब भाऊ ने महाराजा सूरजमल की कोई सलाह नहीं मानी तो उन्होंने पानीपत के युद्ध में साथ चलने से मना कर दिया. इस पर भाऊ ने महाराजा सूरजमल को भी धमकी दे डाली थी.

इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने बताया कि भरतपुर के महाराजा सूरजमल बहुत ही दानशील व्यक्ति थे, इसलिए मूवी में उनका व्यक्तित्व एक स्वार्थी की तरह दिखाना सरासर गलत है. उन्होंने बताया कि पानीपत का युद्ध भाऊ की हठधर्मिता की वजह से हारा गया. यदि भाऊ ने महाराजा सूरजमल की सलाह मानी होती तो हालात कुछ और होते.

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सूरजमल ने भरतपुर के किले में 6 माह तक मराठों को शरण दी
इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा कि सदाशिव भाऊ ने महाराजा सूरजमल के साथ गलत व्यवहार किया. उसके बावजूद महाराजा सूरजमल ने सारी कटुता भुलाकर हारे हुए मराठों को भरतपुर के किले में 6 माह तक शरण दी, जो कि उनके अच्छे व्यक्तित्व का ही एक उदाहरण था. इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने मूवी में दिखाए गए महाराजा सूरजमल के गलत चित्रण का विरोध करते हुए मूवी के प्रदर्शन पर रोक लगाने का पुरजोर समर्थन किया.

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