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फसल खरीद प्रक्रिया में सरकार के सफल बदलाव से कांग्रेस परेशान है: जेपी दलाल

कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि कांग्रेस को सरकार के सफलतापूर्वक काम से परेशानी हो रही है. कांग्रेस फसल खरीद प्रक्रिया में हुए बदलाव से तकलीफ है इसलिए अब मीडिया में ऐसे बयान दे रहे हैं.

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जेपी दलाल, कृषि मंत्री, हरियाणा

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Published : May 12, 2020, 3:14 PM IST

Updated : May 12, 2020, 5:07 PM IST

चंडीगढ़:देश कोरोना महामारी के संकट से जूझ रहा है. वहीं हरियाणा में सियासत अपने चरम पर है. हरियाणा विपक्ष और सरकार किसानों को लेकर आमने-सामने हैं. कांग्रेस ने हरियाणा सरकार के 'मेरा पानी-मेरी विरासत' योजना पर सवालिया निशान खड़े किए, तो कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस पहले किसानों और आड़तियों को गुमराह कर रही थी, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी. अब वो लोग जानबूझ कर मीडिया में ऐसे बयान दे रहे हैं.

कांग्रेस ने सरकार पर क्या आरोप लगाए थे?

दरअसल कुछ दिन पहले हरियाणा कांग्रेस की तरफ से कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 'मेरा पानी-मेरी योजना' योजना को किसानों के लिए फरमान बताया था. हरियाणा कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि इस समय सभी कोरोना महामारी के संकट से जूझ रहा है ऐसे में किसानों को रियायत देने की बजाय उन पर फरमान ठोक दिया गया. सरकार ने पहले भी किसानों से जो वादे किए थे उस पर खरी नहीं उतरी है.

कृषि मंत्री ने कांग्रेस के आरोपों का किया पलटवार, देखिए वीडियो

कृषि मंत्री का पलटवार

कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल ने कहा कि लगता है लॉकडाउन में सरकार के कामों से कांग्रेस के नेता परेशान हैं, इसलिए लफ्फाजी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसानों के लिए संकट की घड़ी में विपक्ष ने और खासकर कांग्रेस ने फसल खरीद प्रक्रिया को फेल करने की कोशिश की, किसानों और आढ़तियों को गुमराह करने की भी कांग्रेस की तरफ से कोशिश की गई, लेकिन किसानों ने सरकार का सहयोग किया और फसल प्रक्रिया को सफल बनाकर विपक्ष को जवाब दिया है.

'जल्द दी जाएगी योजना के बारे में पूरी जानकारी'

कृषि मंत्री ने कहा कि जल्द 'मेरा पानी-मेरी विरासत' योजना की जानकारी प्रदेश की जनता को पूरी तरह दी जाएगी. पानी का मालिक अकेले किसान नहीं है. उस पर उनके बच्चों का और आने वाली पीढ़ी का भी हक है, इसलिए हमने 1000 हेक्टेयर पर फसल विविधीकरण योजना शुरू की है, जो किसान धान के बजाय मक्का या दलहन की खेती करेंगे. उनके खाते में 7000 रुपये दिए जाएंगे. उनका कहना है कि कुछ ब्लॉक में भूजल 40 मीटर से भी नीचे है. ऐसे में करीब 8 ब्लॉक ऐसे हैं. जहां पहले से ही धान के बजाय दूसरी फसलों पर जोर दिया जा रहा है.

23 दिनों में 63 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई

उन्होंने कहा कि सरकार ने अब तक 6 लाख मीट्रिक टन सरसों की खरीद कर ली है. किसानों ने 99 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं की फसल का रजिस्ट्रेशन करवाया है, पिछली बार दूसरे राज्यों से काफी गेहूं आया था, लेकिन इस बार बॉर्डर सील हैं. सिर्फ हरियाणा के किसान ही मंडियों में आ रहे हैं. दलाल ने कहा कि पिछले 23 दिनों में 63 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो चुकी है. इस बार 80 से 85 लाख मीट्रिक टन गेहूं मंडी में आने की उम्मीद है.

कृषि मंत्री का दावा है कि सरकार गेहूं खरीदने की सारी प्रक्रिया को अमल में लाएगी. 30 जून तक मंडियों में खरीद जारी रहेगी. फसल खरीद प्रक्रिया के दौरान मंडियों में आने के कारण एक भी कोरोना संक्रमण का मामला सामने नहीं आया है. 1 महीने के अंदर किसानों के खाते में 20,000 करोड़ रुपए सरकार देने जा रही है. जिससे अर्थव्यवस्था में गति आएगी.

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Last Updated : May 12, 2020, 5:07 PM IST

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