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भिवानी: बिजली निजीकरण के फैसले के खिलाफ उतरे कर्मचारी

भिवानी में बिजली निजीकरण प्रस्ताव के खिलाफ कर्मचारियों ने जमकर विरोध-प्रदर्शन किया. इन लोगों ने कहा कि बिजली निजीकरण उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों के साथ धोखा है. प्रदर्शन कर रहे लोगों ने ये भी कहा कि निजीकरण के बाद बिजली दरों में भारी भरकम वृद्धि होगी.

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Published : Jun 1, 2020, 6:33 PM IST

Employees protest against power privatization decision in bhiwani
Employees protest against power privatization decision in bhiwani

भिवानी: जिले में सरकार के बिजली का निजीकरण करने वाले फैसले के खिलाफ जमकर विरोध-प्रदर्शन हुआ. बिजली निजीकरण के प्रस्तावित संशोधन बिल के विरोध में नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रीसिटी एम्पलाइज ने मोर्चा खोला.

बिजली निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन

बता दें कि इस फैसले के विरोध में सोमवार को सर्कल कार्यालय के बाहर बिजली कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन कर काला दिवस मनाया. एम्पलाइज और इंजीनियरों ने काली पट्टी बांधकर प्रदेश के भर में सब डिविजनल स्तर पर शारीरिक दूरियों का पालन करते हुए संशोधन बिल का कड़ाई से विरोध किया.

‘निजीकरण से बिजली दरों में होगी वृद्धि'

प्रदर्शनकारियों नेतृत्व सर्कल सचिव राजेश सांगवान ने किया. राज्य उप-प्रधान लोकेश, राज्य ऑडिटर धर्मबीर सिंह भाटी ने संयुक्त रूप से कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बिजली निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं, किसानों और आम घरेलू उपभोक्ताओं के साथ धोखा है. निजीकरण के बाद बिजली दरो में भारी भरकम वृद्धि होगी.

उन्होंने कहा कि 1998 में बिजली बोर्ड को तोड़कर कम्पनियों में बांटा गया. तब तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कहा था कि सस्ती बिजली देंगे और 24 घंटे देंगे. उस समय घाटा 498 करोड़ रुपये था, लेकिन आज घाटा बढकऱ 5 लाख करोड़ हो गया है. बिजली सुधारीकरण के नाम पर कर्मचारियों, अधिकारियों, किसानों और उपभोक्ताओं के साथ धोखा है.

रोजगार की नहीं होगी गारंटी

उन्होंने कहा कि बिजली बिल 2020 अगर लागू होगा, तो बिजली राज्य सरकारों की बजाये केंद्र सरकार के पास चली जाएगी. उन्होंने कहा कि आज अगर कर्मचारी और अधिकारी नहीं जागे तो बिजली जैसा महत्वपूर्ण विभाग भी निजी कम्पनियों के हाथों में चला जायेगा और आपके रोजगार की कोई गारन्टी नहीं होगी.

ये है सरकार का निजीकरण प्रस्ताव

बता दें कि प्रस्तावित संशोधन के अनुसार बिजली वितरण और विद्युत् आपूर्ति के लाइसेंस अलग-अलग करने और एक ही क्षेत्र में कई विद्युत् आपूर्ति कम्पनियां बनाने का प्राविधान है. इसके अनुसार सरकारी कंपनी को सबको बिजली देने (यूनिवर्सल पावर सप्लाई ऑब्लिगेशन ) की अनिवार्यता होगी, जबकि निजी कंपनियों पर ऐसा कोई बंधन नहीं होगा.

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स्वाभाविक है कि निजी आपूर्ति कम्पनियां मुनाफे वाले बड़े वाणिज्यिक और औद्योगिक घरानों को बिजली आपूर्ति करेंगी, जबकि सरकारी क्षेत्र की बिजली आपूर्ति कंपनी निजी नलकूप, गरीबी रेखा से नीचे के उपभोक्ताओं और लागत से कम मूल्य पर बिजली टैरिफ के घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति करने को विवश होगी और घाटा उठाएगी.

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