हरियाणा

haryana

ETV Bharat / state

21वें दिन भी जारी रहा पीटीआई टीचर्स का धरना, सरकार से की नियुक्ति की मांग

अंबाला में पीटीआई अध्यापकों का धरना 21वें दिन भी जारी है. शिक्षकों ने कहा पीटीआई टीचर दस साल से अधिक की सेवाएं पूरी कर चुके हैं, ऐसे में उनके सामने अब कोई और विकल्प भी नहीं है. उन्हें दोबारा नियुक्त किया जाए.

pti teachers protest against haryana governmen
pti teachers protest against haryana governmen

By

Published : Jul 6, 2020, 2:41 PM IST

अंबाला: पीटीआई अध्यापकों का धरना 21वें दिन भी जारी है. अध्यापकों का आरोप है कि अभी तक ना किसी प्रशासनिक अधिकारी और ना ही सरकार के किसी मंत्री ने उनकी कोई सुध ली है. आलम ये है कि अंबाला में लगभग 54 पीटीआई अध्यापक क्रमिक आमरिक अनशन पर बैठ गए हैं. पीटीआई अध्यापकों ने प्रदेश की बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार पर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि राजनीतिक द्वेष की वजह से सरकार उनके साथ सौतेला व्यवहार कर रही है.

बता दें कि 1983 अध्यापक 10 साल से प्रदेश के सरकारी शिक्षण संस्थानों में बतौर पीटीआई अध्यापक की सेवाएं दे रहे थे. भर्ती में अनियमितता मिले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकार रखते हुए 1983 अध्यापकों की भर्ती को रद्द करने के आदेश दिए थे. जिससे अंबाला में 54 पीटीआई अध्यापकों की रोजी-रोटी छिन चुकी है. पीटीआई टीचर्स ने कहा कि ये सारी गलती सरकार के अधिकारियों की है. जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है.

21वें दिन भी जारी रहा पीटीआई टीचर्स का धरना,

अध्यापकों ने ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत के दौरान बताया कि बहुत से अध्यापकों ने अपनी नौकरी के आधार पर लोन लिया हुआ है. जिसकी मदद से वो अपने बच्चों की शिक्षा और घर का खर्चा चला रहे हैं, लेकिन सरकार ने ऐसे हालात पैदा कर दिए कि उनको दो जून की रोटी की किल्लत हो गई है. ऐसे में पीटीआई अध्यापकों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

पीटीआई अध्यापकों ने सरकार से कुछ सवाल भी किए.

  • पीटीआई भर्ती 2010 में लगे हुए किसी भी साथी के कागजों में किसी भी प्रकार की त्रुटि नहीं पाई गई. ये फैसला सर्वोच्च न्यायालय के लिखित फैसले में है. फिर उन्हें नौकरी से क्यों निकाला?
  • सत्ता पक्ष के नुमाइंदे न्यूज़ चैनल पर बैठकर लोगों को गुमराह और दुष्प्रचार करने का काम क्यों कर रहे हैं?
  • 1983 साथियों में से लगभग 425 पीटीआई को उनकी योग्यता अनुसार प्रमोशन देकर वर्तमान सरकार द्वारा डीपीआई बनाया जा चुका है, अगर वे योग्य ही नहीं थे तो उन्हें प्रमोशन किस आधार पर दिया गया?
  • लगभग 60 से 70 ऐसे साथी ऐसे हैं जो दूसरे सरकारी महकमों से त्यागपत्र देकर इस भर्ती में सिलेक्ट हुए वो अब कहां जाएं?
  • 40 के करीब पीटीआई साथियों की अलग-अलग दुर्घटनाओं में मौत हो चुकी है. उनके परिवार का पालन पोषण उनकी एक्सग्रेशिया की स्कीम के तहत हो रहा था. जिसको अब बंद कर दिया गया है. अब वो मृत व्यक्ति लिखित परीक्षा में कैसे शामिल हो पाएंगे?
  • कुछ महिला पीटीआई नौकरी लगने के बाद विधवा हो चुकी हैं. आज वो केवल इस नौकरी के बल पर अपने परिवार का गुजारा कर रही हैं. वो मानसिक रूप से किसी भी परीक्षा के लिए तैयारी कैसे कर सकेगी?
  • कुछ एक्स सर्विसमैन (पूर्व सैनिक, शौर्य चक्र और वीरता पुरस्कार विजेता) और पीटीआई टीचर्स रिटायरमेंट के करीब हैं. उनको इस प्रकार बेइज्जत कर विभाग से निकालना दुर्भाग्यपूर्ण है. ये सैनिकों का अपमान है. उनके साथ अन्याय क्यों?
  • बीते 10 सालों में पीटीआई अध्यापकों ने अनेक राज्य और राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी देश को दिए हैं. जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का गौरव बढ़ा रहे हैं. उसका पुरस्कार उन्हें नौकरी से बर्खास्त करके दिया जा रहा है. ऐसा क्यों?
  • 1983 साथियों में से 200 के लगभग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं. जिन्होंने अनेक अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैं. उनको नौकरी से निकाल कर अपमानित क्यों किया गया?
  • 14 साल पहले सरकार द्वारा निकाली गई इस भर्ती में लगे हुए 70% साथी 45 से 54 साल की उम्र को पार कर चुके हैं. अब वो कहां जाएं?

क्या है शिक्षकों की मांग?

शिक्षकों ने कहा नियुक्त हुए टीचर दस साल से अधिक की सेवाएं पूरी कर चुके हैं, ऐसे में उनके सामने अब कोई और विकल्प भी नहीं है. उन्हें दोबारा नियुक्त किया जाए. साथ ही कहा कि जिन पीटीआई टीचरों की सेवा के दौरान मृत्यु हुई है, उनके परिजनों को भी नौकरी देनी चाहिए.

क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला ?

साल 2010 में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी. उस समय हरियाणा में 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए.

ये भी पढ़ें-PTI टीचर्स के आश्रितों को मिलने वाली आर्थिक सहायता बंद, खड़ा हुआ रोजी-रोटी का संकट

इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था.

इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था.

ABOUT THE AUTHOR

...view details