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गुरुग्राम मेयर की कुर्सी पर छाया खतरा टला, साइन वेरिफिकेश के लिए नहीं पहुंचे पार्षद

गुरुग्राम नगर निगम की मेयर मधु आजाद के खिलाफ दिए गए अविश्वास प्रस्ताव के वेरिफिकेशन के लिए 18 पार्षदों में से एक भी पार्षद मंडल आयुक्त के दफ्तर नहीं पहुंचा. वहीं साइन वेरिफिकेशन के लिए कम से कम 12 पार्षदों को मंडल आयुक्त के सामने पहुंचना था.

No confidence motion gurugram mayor
No confidence motion gurugram mayor

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Published : Dec 18, 2019, 10:34 PM IST

गुरुग्राम: हरियाणा की सबसे अमीर नगर निगम के मेयर टीम के खिलाफ 18 पार्षदों ने जो बिगुल बजाया था उससे मेयर टीम की कुर्सी पर संकट के बादल छाए हुए थे लेकिन अब मेयर की कुर्सी पर आया खतरा टल चुका है. मंडल आयुक्त के सामने सभी 18 पार्षदों को साइन वेरिफिकेशन के लिए उनके दफ्तर में पहुंचना था लेकिन अविश्वास प्रस्ताव पर जिन पार्षदों ने साइन किए थे.

उसमें से एक भी पार्षद मंडल आयुक्त के दफ्तर नहीं पहुंचा. हालांकि करीब 8 पार्षद लामबंध होकर पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाऊस में इकट्टे हुए लेकिन कम से कम 12 पार्षदों का वहां होना जरूरी था. जिसके चलते 8 पार्षद भी मंडल आयुक्त के दफ्तर पहुंचने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पाए. दरअसल कुछ पार्षदों ने मेयर मधु आजाद के ऊपर ये आरोप लगाए थे कि नगर निगम में भ्रष्टाचार हो रहा है. वहीं विकास कार्यों में भेदभाव के आरोप लगाते हुए मेयर टीम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा गया. जिसमें 18 पार्षदों ने अपने साइन किए थे लेकिन इसके बाद कुछ पार्षदों ने ये भी आरोप लगाया कि अविश्वास प्रस्ताव पर जो साइन हुए है वो साइन उनके नहीं है.

गुरुग्राम नगर निगम की मेयर मधु आजाद के खिलाफ दिए गए अविश्वास प्रस्ताव के वेरिफिकेशन के लिए नहीं पहुंचे पार्षद.

साइन वेरिफिकेशन के लिए मंडल आयुक्त ने सभी पार्षदों को 11 बजे बुलाया था लेकिन इस दौरान वार्ड-23 से पार्षद अश्वनी शर्मा तो मंडल आयुक्त दफ्तर में इस शिकायत के साथ पहुंचे कि उनके साइन गलत किए गए हैं. वो इस अविश्वास प्रस्ताव से कोई सहमति नहीं रखते हैं. इस अविश्वास प्रस्ताव को सदन में पेश होने के लिए कम से कम 12 पार्षदों का साइन वेरिफिकेशन प्रक्रिया में मौजूद होना अनिवार्य है. अगर 12 पार्षद पेश हो जाते है तो उसके बाद मेयर टीम के लिए अविश्वास प्रस्ताव सदन में पहुंच जाता और उसके बाद मेयर टीम के सामने फ्लोर टेस्ट की चुनौती का सामना कर पड़ सकता था.

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इस बीच एक बार फिर केंद्रीय राज्यमंत्री व सांसद राव इंद्रजीत ने ये भी साफ कर दिया कि गुरुग्राम नगर निगम पर उनकी रणनीति काम करती है और यही कारण रहा कि राव साहब की रणनीति से एक बार फिर उनकी समर्थित मेयर टीम इस संकट से पार निकल पाई. हालांकि इस पूरे मामले में भले ही अविश्वास प्रस्ताव के लिए 12 पार्षद नहीं जुट पाए हो लेकिन अभी भी कुछ पार्षद इस बात का विरोध कर रहे हैं और विकास कार्यों में हो रहे मतभेद का आरोप लगा रहे हैं.

इस पूरे माहौल के बीच अब ये समझें कि आखिर कैसे अविश्वास प्रस्ताव आ सकता है और कैसे शहर की सरकार संकट में फंस सकती है. दरअसल गुरुग्राम नगर निगम में कुल 35 वार्ड है जिसमें से 19 पार्षदों के साइन हुए एक अविश्वास प्रस्ताव को मंडल आयुक्त के सामने रखा गया था. जिसमें से एक पार्षद ने अपने नकली साइन होने का दावा किया.

वहीं कुल 18 पार्षद ऐसे थे जो अविश्वास प्रस्ताव की मांग कर रहे थे लेकिन इस प्रस्ताव को सदन तक लाने के लिए कम से कम 12 पार्षदों की आवश्यकता थी. यदि ये 12 पार्षद आज मंडल आयुक्त के पास पहुंच जाते और इस अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करते तो उसके बाद निश्चित तौर पर सदन में इस प्रस्ताव को रखा जाता और फ्लोर टेस्ट से मेयर टीम को गुजरना पड़ सकता था लेकिन फिलहाल इस पूरे महौाल के बीच मेयर टीम के ऊपर से संकट के बादल छट चुके हैं.

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