गुरुग्राम: हरियाणा की सबसे अमीर नगर निगम के मेयर टीम के खिलाफ 18 पार्षदों ने जो बिगुल बजाया था उससे मेयर टीम की कुर्सी पर संकट के बादल छाए हुए थे लेकिन अब मेयर की कुर्सी पर आया खतरा टल चुका है. मंडल आयुक्त के सामने सभी 18 पार्षदों को साइन वेरिफिकेशन के लिए उनके दफ्तर में पहुंचना था लेकिन अविश्वास प्रस्ताव पर जिन पार्षदों ने साइन किए थे.
उसमें से एक भी पार्षद मंडल आयुक्त के दफ्तर नहीं पहुंचा. हालांकि करीब 8 पार्षद लामबंध होकर पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाऊस में इकट्टे हुए लेकिन कम से कम 12 पार्षदों का वहां होना जरूरी था. जिसके चलते 8 पार्षद भी मंडल आयुक्त के दफ्तर पहुंचने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पाए. दरअसल कुछ पार्षदों ने मेयर मधु आजाद के ऊपर ये आरोप लगाए थे कि नगर निगम में भ्रष्टाचार हो रहा है. वहीं विकास कार्यों में भेदभाव के आरोप लगाते हुए मेयर टीम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा गया. जिसमें 18 पार्षदों ने अपने साइन किए थे लेकिन इसके बाद कुछ पार्षदों ने ये भी आरोप लगाया कि अविश्वास प्रस्ताव पर जो साइन हुए है वो साइन उनके नहीं है.
साइन वेरिफिकेशन के लिए मंडल आयुक्त ने सभी पार्षदों को 11 बजे बुलाया था लेकिन इस दौरान वार्ड-23 से पार्षद अश्वनी शर्मा तो मंडल आयुक्त दफ्तर में इस शिकायत के साथ पहुंचे कि उनके साइन गलत किए गए हैं. वो इस अविश्वास प्रस्ताव से कोई सहमति नहीं रखते हैं. इस अविश्वास प्रस्ताव को सदन में पेश होने के लिए कम से कम 12 पार्षदों का साइन वेरिफिकेशन प्रक्रिया में मौजूद होना अनिवार्य है. अगर 12 पार्षद पेश हो जाते है तो उसके बाद मेयर टीम के लिए अविश्वास प्रस्ताव सदन में पहुंच जाता और उसके बाद मेयर टीम के सामने फ्लोर टेस्ट की चुनौती का सामना कर पड़ सकता था.
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