करौली. राष्ट्रीय रणथंभौर अभ्यारण से निकल कर अपने आशियाने की तलाश में भटक रहा बाघ टी-104 ने कैलादेवी वन क्षेत्र की ओर रुख कर करौली जिले के मेदपुरा बासारी ग्राम में गुरुवार को युवक पर हमला कर दिया. बता दें कि हमले में युवक की मौत हो गई. इससे पहले भी इस बाघ ने एक चारवाहे और महिलाओं को अपना शिकार बनाया था. अब तक इस बाघ ने हमला कर 3 लोगों को अपना शिकार बना लिया, ऐसे में इस बाघ के नरभक्षी होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता. बाघ के सपोटरा के घंटेश्वर की खो के पास मूवमेंट होने से ग्रामीणों में भी दहशत का माहौल है.
करौली के कैला देवी वन अभ्यारण में विचरण कर रहा बाघ टी-104 इंसानी खून का प्यासा हो चुका है. सवाई माधोपुर जिले के रणथंभौर की लैला टी-41 का लाडला टी-104 महज 8 महीने में ही 3 लोगों को मौत के घाट उतार चुका है. बता दें कि बीते दिन ही टी-104 ने करौली के कैलादेवी वन क्षेत्र में पिंटू माली नामक युवक को मौत के घाट उतार दिया. घटना के बाद से ही रणथंभौर, कोटा और जयपुर वन विभाग की टीम टी-104 को ट्रैकुलाइज करने के लिए कड़ी मशक्कत कर रही है, लेकिन अभी तक टीम को सफलता नहीं मिल पाई है.
पढ़ें- करौली : टाइगर के हमले से युवक की मौत
लैला टी-41 से अलग होने के बाद से ही टी-104 अपनी नई टैरेटरी की तलाश में दरबदर भटक रहा है. टी-104 ने पहला हमला 2 फरवरी 2019 को रणथंभौर की कुंडेरा रेंज में पाडली गांव की मुन्नी देवी पर किया था. मुन्नी देवी पर हमला के बाद टी-104 कुछ दिनों तक रणथंभौर के जंगलों में टैरेटरी की तलाश में भटकता रहा और अन्य शक्तिशाली बाघों के दबाव के कारण आखिरकार इस बाघ ने कैलादेवी वन क्षेत्र का रुख कर लिया. जहां इसने दूसरा हमला करौली शहर की दुर्गेश घटा के नाहरदेह में रूपसिंह नामक चारवाहे पर किया. बता दें कि रूपसिंह पर हुए हमले के बाद वन विभाग की टीम की ओर से टी-104 को ट्रैकुलाइज किया गया और एक बार फिर उसे रणथंभौर के जंगलों में छोड़ दिया गया. लेकिन टी-104 ज्यादा दिनों तक रणथंभौर के जंगलों में नहीं ठहर पाया और इस बाघ ने एक बार फिर कैलादेवी वन क्षेत्र का रुख कर लिया. हालांकि इस दौरान वन विभाग की टीम की ओर से लगातार टी-104 की ट्रेकिंग की जा रही थी.
टी-104 बाघ है मैन किलर
बीते दिन 12 सितम्बर 2019 को इस बाघ ने एक बार फिर पिंटू माली नामक युवक पर हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया. टी-104 अब तक तीन लोगों को मौत के घाट उतार चुका है. जिसे देखकर तो यही लगता है कि टी-104 का स्वभाव उग्र हो चुका है और यह इंसानी खून का प्यासा बन चुका है. टी-104 के स्वभाव में आए इस परिवर्तन को लेकर वन प्रशासन चिंतित है. हालांकि वाईल्ड लाईफ तथा एनटीसीए के विभागीय नियमों के अनुरूप अभी तक टी-104 को आदमखोर नहीं कहा जा सकता. विभागीय अधिकारियों की माने तो वन विभाग के नियमों के अनुरूप टी-104 अभी तक मैन हीटर नहीं है बल्कि इसे मैन किलर कहा जा सकता है.