चंडीगढ़: लॉकडाउन के दौरान हुई शराब तस्करी की जांच को लेकर गठित की गई एसईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट गृह मंत्री अनिल विज को सौंप दी है. जिसमें आबकारी एवं कराधान विभाग से जुड़े अधिकारियों के ऊपर उंगली उठाई गई है. एसईटी ने 31 जुलाई 2020 को अपनी रिपोर्ट सौंपी. एसईटी ने अपनी 6 चैप्टर और 2000 पेज की रिपोर्ट में अनेक सिफारिश दी हैं. जिसको विज ने स्वीकार कर लिया है.
गृह मंत्री ने कहा कि टीम ने पाया कि तत्कालीन आबकारी एवं कराधान आयुक्त शेखर विद्यार्थी ने जांच में कोई समुचित सहयोग नहीं किया. इतना ही नहीं सरकार द्वारा लॉकडाउन के दौरान ठेके बंद करने के आदेश दिए थे, जिसके लिए उन्होंने कोई लिखित आदेश जारी नहीं किए. इसके अलावा विभाग की आबकारी नीति 2011-12 के अनुसार शराब की डिस्टलरी पर सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए थे, लेकिन आज तक इनकी कोई फीडबैक प्राप्त नहीं हुई.
इसके साथ ही शराब की एक्सायरी डेट के 2 साल बाद शराब को नष्ट भी करना होता है, लेकिन एक जिले को छोड़कर किसी अन्य जिला ने इसका पालन नहीं किया. इसके चलते रिपोर्ट में इन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई तथा अन्य के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है.
एसपी ने की शराब माफिया की सहायता-विज
विज ने कहा इसी प्रकार एसईटी ने सोनीपत की तत्कालीन एसपी प्रतीक्षा गोदारा एवं जशनदीप सिंह रंधावा से भी पूछताछ की है. टीम ने रिपोर्ट में पाया गया कि प्रतीक्षा गोदारा ने खरखौदा के मुख्य शराब माफिया महेन्द्र सिंह की न केवल सहायता की बल्कि उसे 2 अंगरक्षक भी मुहैया करवा दिए गए. इसके अलावा ऐसे अनेक आरोपों के चलते उन्होंने राज्य विजिलेंस ब्यूरो को इस पूरे मामले में एफआईआर दर्ज करने और इसकी समुचित जांच करवाने की सिफारिश की है. ताकि पूरे प्रकरण में कड़ी कार्रवाई की जा सके. एसईटी ने पाया कि करीब 200 शराब वाहन चालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी लेकिन असली अपराधी तक नहीं पहुंचा जा सका.