Shri Krishna बरसात यज्ञ संपन्न करने से होती है, यज्ञ उत्पन्न होता है... - geeta gyan
नियत कर्मों के अतिरिक्त किए जाने वाले कार्यों में लगा हुआ मनुष्य कर्मों से बंधता है, इसलिये मनुष्यों को आसक्ति रहित होकर कर्म करना चाहिए. मनुष्य को शास्त्र विधि से नियत किये हुए कर्म करना चाहिए क्योंकि कर्म नहीं करने से शरीर का सुचारू संचालन भी नहीं होगा. जो मनुष्य मन से इन्द्रियों पर नियंत्रण करके आसक्ति रहित होकर निष्काम भाव से समस्त इन्द्रियों के द्वारा कर्म योग का आचरण करता है वही श्रेष्ठ है. यज्ञों के द्वारा प्रसन्न होकर देवता तुम्हें भी प्रसन्न करेंगे और इस तरह सबको संपन्नता प्राप्त होगी. Geeta Saar . Wednesday motivational quotes . Geeta Gyan .