'बाबा का ढाबा' के बाहर विज्ञापनों का जमावड़ा, बाबा को नहीं अब मदद की जरूरत
नई दिल्ली: ट्रोलर्स के चलते इन दिनों सोशल मीडिया की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन सोशल मीडिया का इस्तेमाल अगर तरतीब से हो तो कैसे हालात बदल सकते हैं. ये बानगी इन दिनों दिल्ली में देखने को मिल रही है, जहां सोशल मीडिया पर अस्सी साल के उस बुजुर्ग की पीड़ा दिखाई दी जो कोरोना काल में अपने ढाबे पर छाई वीरानगी से दुखी थे, एक मुद्दत से उनके पास ग्राहकों की ऐसी कमी थी कि उनका जीवन बसर करना मुश्किल हो रहा था. इस बुजुर्ग दंपत्ति की पीड़ा सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो तस्वीर का रूख ही बदल गया. आज बाबा का ढाबा न सिर्फ फिर से गुलज़ार है बल्कि मल्टीनेशनल कंपनियों के लिए ब्रांडिंग का हब भी बन रहा है. देखिए ईटीवी भारत पर कैसे बदल गया बाबा का ढाबा...
Last Updated : Oct 15, 2020, 7:22 PM IST