Geeta Sar : मनुष्य किसी भी अवस्था में क्षणमात्र भी कर्म किये बिना नहीं रह सकता क्योंकि ...
वेदों में नियमित कर्मों का विधान है, ये साक्षात परब्रह्म से प्रकट हुए हैं. फलतः सर्वव्यापी ब्रह्म यज्ञ कर्मों में सदा स्थित रहता है. मनुष्य को शास्त्र विधि से नियत किये हुए कर्म करना चाहिए क्योंकि कर्म नहीं करने से शरीर का सुचारू संचालन भी नहीं होगा. जो मानव जीवन में वेदों द्वारा स्थापित यज्ञ-चक्र का पालन नहीं करता, वह निश्चय ही पापमय जीवन व्यतीत करता है, ऐसे व्यक्ति का जीवन व्यर्थ है.
Last Updated : Feb 3, 2023, 8:31 PM IST