MOTIVATION : जैसे कमलपत्र, जल से अस्पृश्य रहता है- उसी प्रकार व्यक्ति जब अपने कर्म फलों को...
योगीजन (Geetasar) आसक्ति रहित होकर शरीर, मन, बुद्धि के द्वारा भी शुद्धि के लिए कर्म करते हैं. कभी न संतुष्ट होने वाले काम का आश्रय लेकर तथा गर्व के मद में डूबे हुए आसुरी लोग, मोहग्रस्त होकर अपवित्र कर्म का व्रत लिए रहते हैं. प्रत्येक कार्य प्रयास दोषपूर्ण होता है, जैसे अग्नि धुएं से आवृत रहती है. मनुष्य को स्वभाव से उत्पन्न दोषपूर्ण कर्म को नहीं त्यागना चाहिए. motivation . Aaj ki prerna.
Last Updated : Feb 3, 2023, 8:25 PM IST