जाने भारतीय न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक, होमी जहांगीर भाभा से जुड़ी कुछ बातें
हैदराबाद: होमी जहांगीर भाभा, अपने पूरे जीवन अविवाहित रहे. इन्हें पेंटिंग, शास्त्रीय संगीत, ओपेरा और वनस्पति विज्ञान(बॉट्नी) का शौक था. इनका निधन 56 वर्ष की आयु में रहस्यमय परिस्थितियों में हुआ था. वह 24 जनवरी, 1966 को एयर इंडिया फ्लाइट 101 में थे और यह हवाई जहाज स्विट्जरलैंड में मोंट ब्लांक के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. 1958 में जिनेवा में आयोजित हुए संयुक्त राष्ट्र के दूसरे सम्मेलन में, भाभा और प्रसाद ने तीन चरणों के एटोमिक एनर्जी प्रोग्राम को रेखांकित(आउटलाइन) किया, जिसे भारत अपनाने वाला था. भारत के पहले न्यूक्लियर रिसर्च रिएक्टर, अप्सरा को अगस्त 1956 में शुरू किया गया. 1965 की शुरुआत में, भाभा ने तीसरा एटोमिक एनर्जी स्टेशन, कल्पाक्कम में बनाने का तरीका सुझाया. भाभा ने इरैडिएटेड ईंधन से प्लूटोनियम को अलग करने के लिए, ट्रॉम्बे में प्लांट बना कर एक महत्वपूर्ण पहल की. क्वांटम फिजिक्स में, इलेक्ट्रॉन-पॉजिट्रॉन स्कैटरिंग(बिखरने) के क्रॉस-सेक्शन को होमी जहांगीर भाभा के सम्मान में 'भाभा स्कैटरिंग' का नाम दिया गया.