chabahar port operations : हमें अफगान सरकार के साथ समझौते की जरुरत नहीं- एस जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को लोकसभा में बताया कि चाबहार बंदरगाह ठीक ढंग से काम कर रहा है और इस परियोजना को लेकर अमेरिकी प्रतिबंध प्रासंगिक नहीं हैं.जयशंकर ने निचले सदन में बहुजन समाज पार्टी सदस्य रितेश पांडे के पूरक प्रश्नों के उत्तर में यह जानकारी दी. पांडे ने सरकार से चाबहार बंदरगाह की स्थिति और अमेरिकी प्रतिबंधों के इस पर संभावित प्रभावों के बारे में जानकारी मांगी थी. इस पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि मूल रूप में यह त्रिपक्षीय समझौता था लेकिन अभी इससे जुड़े सभी समझौते केवल ईरान तक ही सीमित हैं. उन्होंने कहा, मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि बंदरगाह ठीक ढंग से काम कर रहा है. इस परियोजना को लेकर अमेरिकी प्रतिबंधों की कोई प्रासंगिकता नहीं है. वहीं, प्रश्न के लिखित उत्तर में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि मई 2016 में प्रधानमंत्री की ईरान यात्रा के दौरान भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय परिवहन एवं पारगमन गलियारा स्थापित करने को लेकर एक त्रिपक्षीय करार (चाबहार करार) पर हस्ताक्षर किए थे. उन्होंने कहा कि भारत द्वारा ईरान की सरकार के सहयोग से शाहिद बेहिस्त टर्मिनल, चाबहार बंदरगाह के प्रथम चरण का निर्माण किया जा रहा है. जयशंकर ने कहा कि एक भारतीय कंपनी - इंडिया पोर्ट ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) ने अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी इंडिया पोर्ट ग्लोबल चाबहार फ्री जोन (आईपीजीसीएफजेड) के माध्यम से 24 दिसंबर 2018 से चाबहार बंदरगाह के संचालन का कार्यभार संभाला है. उन्होंने बताया कि इसके बाद से 160 जहाजों और 32 लाख टन थोक और समान्य माल सहित अन्य सामग्रियों का प्रचालन किया गया है. विदेश मंत्री ने बताया कि भारत ने शाहिद बेहिस्त टर्मिनल, चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए 8.5 करोड़ डॉलर की ऋण सहायता प्रदान करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है. उन्होंने बताया कि भारत ने वर्ष 2020 में अफगानिस्तान को मानवीय खाद्य सहायता के रूप में 75,000 मीट्रिक टन गेहूं भेजने के लिए चाबहार बंदरगाह का उपयोग किया है. अब तक, कुल एक लाख दस हजार टन गेहूं और दो हजार टन दाल भारत से अफगानिस्तान भेजी गई है.
Last Updated : Dec 10, 2021, 2:18 PM IST