हवा की उल्टी दिशा में लहराता है श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर लगा ध्वज - महाप्रसाद कितने रसोइये और कितने चूल्हे पर बनता है
हवा के विपरीत लहराता है ध्वज. जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित लाल ध्वज 'पति-तपावन बाणा' सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है. ध्वज भी इतना भव्य है कि जब यह लहराता है, तो इसे लोग देखते ही रह जाते हैं. ध्वज पर शिव का चंद्र बना हुआ है. यहां एक धार्मिक अनुष्ठान हर रोज होता है और वह है मंदिर के शिखर का ध्वज का बदला जाना. जानकारों के मुताबिक यह प्रथा पिछले 800 साल से चली आ रही है. मंदिर का ध्वज हर दिन एक निर्धारित रीति रिवाज के तहत बदला जाता है. श्री जगन्नाथ मंदिर के उपर लगा यह ध्वज हवा की उल्टी दिशा में लहराता रहता है. ज्यादातर समुद्री तटों पर हवा समंदर से जमीन की तरफ जाती है. लेकिन पुरी में ऐसा नहीं है यहां हवा जमीन से समंदर की तरफ जाती है जो अपने आप में एक रहस्य से कम नहीं है. यह 20 फीट का ट्रायएंगुलर ध्वज होता है जो हर रोज बदला जाता है. इसे बदलने का जिम्मा एकही परिवार पर है वह इसे 800 साल से करती चली आ रही है. जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर लगा ध्वज काफी दूर से नजर आता है. मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है. इस चक्र को किसी भी दिशा से खड़े होकर देखने पर ऐसा लगता है कि चक्र का मुंह आपकी ओर है. चाहे आंधी-तूफान हो या बारिश, मंदिर के गुंबद पर ध्वज बदलने का यह धार्मिक रीति-रिवाज रोज शाम को संचालित होता है. कई श्रद्धालु दर्शन के बाद इस अद्भुत प्रक्रिया को देखने के लिए रुके रहते हैं.