सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजने पर भिड़े LG और केजरीवाल
नई दिल्ली:केजरीवाल सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल के बीच शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फ़िनलैंड भेजने को लेकर तनातनी जारी है. दिल्ली सरकार ने 20 जनवरी को शिक्षकों को फिनलैंड भेजने को लेकर इजाजत के लिए फाइल भेजी थी, लेकिन एलजी की तरफ से अभी तक मंजूरी नहीं दी गई है. जिससे सरकार और एलजी के बीच जुबानी जंग चल रही है. वहीं इस पूरे मामले में केजरीवाल का पक्ष है कि शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजने से उन्हें अच्छा प्रशिक्षण मिलेगा, जिससे वो बच्चों को अच्छे से पढ़ा पाएंगे. केजरीवाल का यह भी आरोप है कि उपराज्यपाल ने इसकी फाइल रोक रखी है और वह यह जानबूझ कर कर रहे हैं.
सरकार टीचरों को क्यों भेजना चाहती है फिनलैंड
ऐसे में लोगों के बीच यह जानने की उत्सुकता बढ़ गई है कि आखिर सरकार टीचरों को फ़िनलैंड ही क्यों भेजना चाहती हैं. देशों की शिक्षा रैंकिंग के अनुसार फ़िनलैंड तीसरे स्थान पर है और यह दुनिया का 8वां सबसे शिक्षित देश है. फिनलैंड की हाई स्कूल एजुकेशन रैंकिंग 100 प्रतिशत है. विश्व आर्थिक मंच के वैश्विक कॉम्पिटिटिव अध्ययन ने भी फ़िनलैंड को दुनिया में सबसे अच्छी तरह से विकसित शिक्षा का स्थान दिया है. यहां प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक की शिक्षा मुफ़्त है. साथ ही कई ऐसी सुविधाएँ और तकनीक है जिनकी मदद से फीनलैंड ने विश्व स्तर पर टॉप किया है.
10 सालों में 87 से 99% तक बढ़ा रिजल्ट
आपको बता दें कि 2014 में पहलीबार आम आदमी पार्टी की दिल्ली में सरकार बनी. तब से लेकर अब तक 'आप' सरकार ने कई टीचर्स को सिंगापुर और अमेरिका के स्कूलों में भेजा है. वहां से ट्रेनिंग लेकर कई टीचर्स दिल्ली सरकार के स्कूलों में बच्चों को पढ़ाते हैं. 2014 से पहले दिल्ली में शीला दीक्षित की सरकार थी, उस वक्त दिल्ली सरकार ने कभी भी सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने वाले टीचर को विदेशों में ट्रेनिंग लेने के लिए नहीं भेजा था, लेकिन शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान देने के बाद से ही दिल्ली सरकार के 6 स्कूल देश के टॉप 10 स्कूल में आते हैं. इसके बाद से ही बच्चों की परफॉर्मेंस बढ़ी है और पिछले दिल्ली सरकार के स्कूलों का रिजल्ट 87% से 99% तक बढ़ा है.
फिनलैंड में तनाव रहित होता है स्कूल का माहौल
आमतौर पर स्कूलों का माहौल बच्चों के लिए बोझिल और तनाव वाला होता है, लेकिन फिनलैंड में स्कूल बहुत कम तनाव वाले और बच्चों के लिए ज्यादा केयरिंग होते हैं. स्टूडेंट की दिनभर में कुछ ही क्लासेस होती हैं और सभी क्लासेस के बीच में 25 से 30 मिनट का ब्रेक मिलता है.
लंबे समय तक होते हैं एक ही टीचर
जहां भारत में हर साल बच्चों की क्लास टीचर बदलते रहते हैं, तो वहीं फिनलैंड में 6 साल तक एक ही टीचर बच्चों को पढ़ाते हैं. इससे टीचर स्टूडेंट को अच्छी तरह से समझ कर उनके लिए एक बेहतर मेंटर का काम करते हैं.
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