पिछले 30 सालों से सूरत की यह कंपनी इसरो के लिए कर रही काम, चंद्रयान-3 मिशन में भी दिया योगदान - सूरत की एक कंपनी
चंद्रयान-3 के लॉन्च होने में कुछ ही घंटे बचे हैं. वैज्ञानिक समुदाय चंद्र मिशन की कामयाबी का बेसब्री से इंतजार कर रहा है. सूरत की एक कंपनी को भारत के ऐतिहासिक मिशन का हिस्सा बनने पर गर्व है. चंद्रयान-3 और दूसरे रॉकेट में इस्तेमाल किए गए सेरैमिक सूरत की हिमसन सेरैमिक्स ने तैयार किए हैं. ये कंपनी पिछले तीस साल से इसरो के लिए सेरैमिक्स बना रही है.
हिमसन सेरैमिक्स के एमडी निमेश बचकानीवाला ने बताया कि ये स्क्विब सेरैमिक कंपोनेंट है और सेरेमिक मटेरियल से बनता है. इसकी विशेषता ये है कि ये हाई टेम्परेचर पर पिघलता नहीं है. बहुत ज्यादा तापमान पर जाएगा तब ही पिघलेगा. स्क्विब छोटे विस्फोटक उपकरण हैं, जिनका इस्तेमाल सिस्टम या अवयवों को अलग करने, तैनात करने या सक्रिय करने से जुड़े अलग-अलग काम के लिए किया जाता है. ये आग बुझाने वाले कंटेनरों के डिस्चार्ज वाल्व में पाए जाते हैं.
हिमसन सेरैमिक्स के जनक बचकानीवाला ने बताया कि ये न सिर्फ देश के लिए, बल्कि सूरत के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है. पूरी दुनिया इस वक्त 'स्पेस रेस' का हिस्सा है. भारत को अमेरिका और चीन जैसे देशों से मुकाबला करना है. मुझे लगता है कि भारत में बने अवयवों का उपयोग करना बेहद महत्वपूर्ण है. ताकि अगर हमें काली सूची में डाल दिया जाए या ऐसा कुछ भी हो, तो हमें किसी भी कठिनाई का सामना न करना पड़े.
इसरो के चंद्रयान-3 मिशन का मकसद चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करना है. अगर ये कामयाब होता है तो भारत - अमेरिका, चीन और पूर्व यूएसएसआर के बाद इस उपलब्धि को हासिल करने वाला चौथा देश होगा.