तनाव एक सर्वव्यापी समस्या है, जो कई कारणों से हो सकती है. जानकार कहते हैं कि थोड़ा तनाव जीवन में जरूरी है क्योंकि वह आगे बढ़ने या बेहतर प्रदर्शन की प्रेरणा बन सकता है, लेकिन जरूरत से ज्यादा तनाव बीमारी का रूप ले लेता है.
तनाव जैसी मानसिक अवस्था न सिर्फ व्यक्ति की कार्यक्षमता बल्कि उसके सामान्य जीवन को भी प्रभावित करती है. इसलिए बहुत जरूरी है कि समय रहते इसके लक्षणों को जानकर, तनाव से मुक्ति पाने का प्रयास किया जाय, लेकिन समस्या यह है कि ज्यादातर लोग अपनी रोजमर्रा की छोटी-छोटी चिंताओं और घबराहटों तथा तनाव के बीच के अंतर को समझ ही नहीं पाते हैं और जब तक उन्हें इस समस्या का पता चलता है तब तक वे उसके प्रभाव में आ चुके होते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट कहती है, दुनियाभर में लगभग 80 करोड़ लोग किसी न किसी तरह की मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं. वहीं, भारत की बात करें तो वर्ष 2019 में सिग्ना कॉर्पोरेशन (Cigna Corporation) तथा टीटीके ग्रुप (TTK Group) और मणिपाल ग्रुप द्वारा संयुक्त रूप से कराए गए 'वेल-बीइंग सर्वे' के नतीजों में सामने आया कf 82% भारतीय काम, स्वास्थ्य और रुपये-पैसे से जुड़े मामलों को लेकर तनाव में रहते हैं.
क्या कहती है सर्वे रिपोर्ट?
इस सर्वे के अनुसार भारत में 35 से 49 साल की उम्र वाले लगभग 89% भारतीय तनावग्रस्त हैं, वहीं, युवा वयस्कों में 87% तथा 50 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों में 64% इस समस्या से जूझ रहे हैं. इस सर्वे के मुताबिक 84% कामकाजी भारतीय मानसिक दबाव से परेशान हैं, वहीं, काम न करने वाले 70% भारतीय भी तनावग्रस्त हैं. इनमें महिलाओं की तुलना में पुरुष अपेक्षाकृत ज्यादा तनाव में रहते हैं.
सर्वे में 84% पुरुषों में तनाव की समस्या देखने में आई. वहीं, महिलाओं में यह आंकड़ा 74% था. इस सर्वे में सामने आया कf ज्यादातर लोगों में तनाव का कारण निजी सेहत और वित्तीय स्थिति था, जिसके चलते न सिर्फ उनके कामकाजी प्रदर्शन में गिरावट आ रही थी बल्कि वे नियमित रूप से सिरदर्दऔर थकान जैसे लक्षण भी महसूस कर रहे थे.
क्या हैं तनाव के कारण?
तनाव के कारणों और सामान्य जीवन में उससे बचाव के तरीकों के बारें में ETV भारत सुखीभवा को ज्यादा जानकारी देते हुए मनोचिकित्सक डॉ वीना कृष्णन बताती हैं कि कई बार रोजमर्रा की छोटी-छोटी बातें तनाव का कारण बन सकती हैं, जो सामान्य है लेकिन अगर तनाव लंबे समय तक रहने लगे या ज्यादा परेशान करने लगे तो यह शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने लगता है.
वे बताती हैं कि कुछ मात्रा में तनाव अच्छा होता है क्योंकि यह लोगों को बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित करता है, लेकिन जब तनाव आपके आपके सोचने-समझने की शक्ति को प्रभावित करने लगे तो वह समस्या या बीमारी का रूप ले लेता है. जिसके चलते उनमें एंग्जायटीके लक्षण नजर आने लगते हैं जैसे बैचेनी, ध्यान केंद्रित ना कर पाना या प्रतिक्रिया नहीं दे पाना आदि. वहीं, इसका शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ता है.
डॉ वीना कृष्णन बताती हैं कि कई बार तनाव के लिए कार्यस्थल या घर का तनाव ही कारण नहीं होता है बल्कि जीवन शैली से जुड़ी समस्यायें भी तनाव बढ़ा सकती हैं. जैसे कम या बहुत अधिक नींद, भोजन में पोषक तत्वोंकी कमी, असंतुलित जीवनशैली, व्यायाम न करना आदि. इसके अतिरिक्त वर्तमान समय में टी.वी या सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताना या ज्यादा न्यूज देखना भी लोगों में तनाव का कारण बन रहा है.
कैसे बचें तनाव से?
जानकार मानते हैं कि सोच, जीवनशैली और दिनचर्या में थोड़े से बदलाव, तनाव को कुछ हद तक नियंत्रित कर सकते हैं, जैसे
- सकारात्मक सोच रखने का प्रयास करें.
- दिन की शुरुआत वॉक/व्यायाम तथा ध्यान (मेडिटेशन )से करें. प्रतिदिन 10 से 15 मिनट डीप ब्रीदिंग करें.
- समस्याओं को लेकर सिर्फ चिंतित होने की बजाय उन्हे समझ कर उनके निस्तारण का प्रयास करें.
- अपने दोस्तों और प्रियजनों से बात करें और यदि संभव हो तो अपनी परेशानी सांझा करें.
- दिन का कुछ समय अपनी पसंदीदा कार्य को करने में बिताएं. इससे फील गुड हार्मोन एंडॉर्फिन रिलीज होता है.
- सोशल मीडिया से जितनी हो सके दूरी बनाएं .
- पौष्टिक तथा संतुलित भोजन सही समय पर खाएं.
- सही मात्रा में और सही समय पर नींद लें.
- सुस्त जीवन शैली से दूरी बनाएं.
डॉ वीना कृष्णन बताती हैं कि यदि तनाव आपके रोजमर्रा के कार्यों और जीवन को प्रभावित करने लगे तो तत्काल चिकित्सीय मदद लेनी चाहिए.
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