जानकारी का अभाव कहें, समय की कमी या आलस, कई बार लोग अपने व्यायाम रूटीन का पालन करने से पहले वॉर्मअप अभ्यास नहीं करते हैं. जिसका नतीजा यह होता है कि ज्यादातर लोगों को व्यायाम से फायदे होने की बजाय व्यायाम करने के बाद मांसपेशियों में दर्द, भारीपन, तनाव या उनके चोटील होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ जाता है. दरअसल व्यायाम करने से पहले, व्यायाम के लिए शरीर को तैयार करना भी बहुत जरूरी होता है. जिससे ना सिर्फ व्यायाम के पूरे फायदे शरीर को मिले, बल्कि व्यायाम के दौरान किसी भी प्रकार की चोट से शरीर को बचाया जा सके.
जरूरी है वॉर्मअप
दिल्ली के खेल फिजियोथैरेपिस्ट डॉक्टर नील पुंडीर बताते हैं कि व्यायाम करने से पहले सही तरीके से वॉर्मअप अभ्यास करने से मांसपेशियों व हड्डियों के चोटिल होने का खतरा कम होता है. वह बताते हैं कि वॉर्मअप करने से विशेष तौर पर मांसपेशियों में तनाव कम होता है तथा उनमें व जोड़ों में लचीलापन व गर्माहट बढ़ती है. जिससे किसी भी प्रकार के व्यायाम को करने में सरलता होती है, व्यायाम करने की गति बढ़ती है तथा व्यायाम करने के लिए शरीर सक्रिय व तैयार हो जाता है.
डॉ पुंडीर के मुताबिक, व्यायाम से पहले वॉर्मअप करने से व्यक्ति के शरीर का नर्वस सिस्टम सक्रिय हो जाता है, जिससे उसके शरीर में रक्त संचरण की प्रक्रिया तेज होती है. इससे उसके हृदय का स्वास्थ्य बेहतर रहता है तथा उसकी ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता भी बेहतर हो जाती है. साथ ही उसके शरीर का मेटाबॉलिज्म भी बेहतर होता है. इसके अलावा चूंकि वॉर्मअप करने से मांसपेशियों की शिथिलता और जोड़ों में अकड़न कम हो जाती है, इसलिए व्यायाम करते समय शरीर का मुवमेंट सरल हो जाता है. जिससे उसकी व्यायाम करने की क्षमता व गति दोनों तेज हो जाती है.
कैसा हो वॉर्मअप
दिल्ली की पूर्व एथलेटिक कोच तथा व्यायाम प्रशिक्षक जया सिंह पाल बताती हैं कि हल्के-फुल्के व्यायाम, योग तथा सामान्य कसरत करने, जटिल हाई इंटेनसीटी वाले व्यायाम करने तथा खिलाड़ियों द्वारा किए जाने वाले व्यायाम या खेल प्रशिक्षण सभी के लिए वॉर्मअप बहुत जरूरी होता है. सामान्य तौर पर किसी भी प्रकार के व्यायाम से पहले कम से कम 10 मिनट का वॉर्मअप जरूर करना चाहिए. साथ ही व्यायाम की जटिलता के आधार पर वॉर्मअप के दौरान किए जाने वाले अभ्यासों का चयन किया जाना चाहिए.
जया सिंह बताती हैं कि इसी आधार पर वॉर्मअप करने की अवधि को भी बढ़ाया जा सकता है. जैसे यदि कोई व्यक्ति सामान्य योग, कसरत, या हल्के-फुल्के व्यायाम करता है तो उसके लिए पहले धीमी तथा बाद में तेज गति से चलना, दौड़ना, कूदना तथा रस्सी कूदना जैसे वॉर्मअप अभ्यास किए जा सकते हैं. वहीं अन्य श्रेणियों के व्यायामों के लिए इनके अलावा पुश अप, आर्म स्विंग, बट कीकर्स, शोल्डर रोटेशन, सक्वाट्स तथा एरोबिक का अभ्यास किया जा सकता है. इसके अलावा जो लोग जिम में वेट ट्रेनिंग व एब्स व्यायाम आदि जैसे हाई इंटेनसिटी व्यायाम करते हैं या किसी खेल विशेष के प्रशिक्षण से जुड़े व्यायाम करते हैं उनके लिए प्रशिक्षक उनकी जरूरत के अनुसार अलग तरह का वार्म अप रूटीन भी बना सकते हैं.
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वह बताती हैं कि व्यायाम के अवधि व प्रकार के आधार पर वार्म अप शेड्यूल 10 मिनट से ज्यादा बढ़ाया भी जा सकता है. लेकिन बहुत जरूरी है कि इस दौरान व्यायाम करने की गति व उसकी आवृत्ती निर्धारित मात्रा में हो जिससे शरीर पर उसका प्रभाव संतुलित मात्रा में हो. यानी ना तो वॉर्मअप के फायदे शरीर को कम मात्रा में मिले और ना ही व्यायाम करने का अधिकांश समय सिर्फ वॉर्मअप में ही समाप्त हो जाए.