आमतौर पर ज्यादा फैट या वसा युक्त आहार के सेवन को फैटी लिवर डिजीज के लिए जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन इस रोग के होने के लिए कई बार अस्वस्थ आहार के सेवन के अलावा कई अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं व कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं, जैसे (Obesity, type 2 diabetes, hypothyroidism, high cholesterol, metabolic syndrome, genetic reasons or blood fat rise) मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज, हाइपोथायरॉयडिज्म , हाई कोलेस्ट्रॉल , मेटाबॉलिक सिंड्रोम, आनुवंशिक कारण या खून में वसा का बढ़ना आदि.
लेकिन हाल ही में हुए एक शोध में सामने आया है शरीर में कुछ विशेष पोषक तत्वों की कमी से भी इस रोग होने की आशंका हो सकती है. हाल ही में जर्नल ऑफ हेपेटोलॉजी (Journal of Hepatology) में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया है कि शरीर में विटामिन बी12 और फोलेट जैसे तत्वों की कमी नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज के होने का कारण बन सकती हैं. शोध में बताया गया है कि आहार में इन पोषक तत्वों कि मात्रा बढ़ाने से ना सिर्फ इस समस्या के होने कि आशंका को कम किया जा सकता है वहीं इस रोग के होने पर भी ये पोषक तत्व इस समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं.
क्या है फैटी लिवर डिजीज (What is fatty liver disease) : दिल्ली की जनरल फिजीशियन (प्राइवेट प्रैक्टिश्नर) डॉ रश्मि राठी (Dr Rashmi Rathi, General Physician) बताती हैं कि वर्तमान समय में फैटी लिवर डिजीज काफी आम होने लगी है और चिंता कि बात यह है कि इस रोग के मामले सिर्फ बड़ों में ही नहीं बल्कि बच्चों में भी बढ़ रहें हैं. इसके लिए भागदौड़ भरी ज़िंदगी, खाने-पीने व सोने-जागने से जुड़ी गलत आदतें तथा लोगों में बढ़ता तनाव व मानसिक अस्थिरता को माना जा सकता है. इसलिए इसे लाइफस्टाइल डिजीज (lifestyle disease) भी कहा जाता है. गौरतलब है कि इस समस्या में लिवर में अतिरिक्त चर्बी बनने व जमा होने लगती है.
डॉ रश्मि (Dr. Rashmi Rathi) बताती हैं कि वैसे तो साधारण फैटी लिवर यानी रोग कि अपेक्षाकृत कम गंभीर स्थिति में लिवर को बहुत ज्यादा क्षति नहीं होती है. लेकिन यदि समय पर इस रोग के लक्षणों को पहचान कर सही इलाज या चिकित्सक द्वारा बताए गए जरूरी परहेजों को ना अपनाया जाए तो लिवर को गंभीर क्षति पहुँच सकती है. यहां तक कि कई बार पीड़ित को लिवर सिरोसिस, लिवर का खराब होना , यहाँ तक कि लिवर कैंसर (liver cirrhosis, liver damage, liver cancer) जैसी समस्याएं भी हो सकती है. जो कई बार जानलेवा भी हो सकती हैं.
वह बताती हैं कि हालांकि इस समस्या को साइलेंट डिजीज (silent disease) भी कहा जाता है क्योकि आमतौर पर समस्या के शुरुआती चरण में इस रोग के ज्यादा लक्षण नजर नहीं आते हैं. और जब तक लक्षण ज्यादा प्रत्यक्ष रूप में नजर आने लगते हैं तब तक समस्या गंभीर स्वरूप लेने लगती है. आमतौर पर इस समस्या का प्रभाव बढ़ने पर लोगों में पेट में दर्द, पेट के ऊपरी भाग में सूजन आना, भूख में कमी, भोजन का ढंग से न पचना, वजन लगातार कम होना, कमजोरी व थकान महसूस करना, भ्रम की स्थिति तथा उल्टी व मतली आना जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं. गौरतलब है कि फैटी लिवर डिजीज दो तरह की मानी जाती है.
- अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज (Alcoholic fatty liver disease ) :इस अवस्था में शराब के अत्यधिक सेवन से लिवर को क्षति पहुंचने लगती है.
- नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (Non Alcoholic Fatty Liver Disease) : इस अवस्था में मुख्यतः अस्वस्थ खानपान जैसे बहुत अधिक तला-भुना खाने या सैचुरेटेड फैट्स और ट्रांस फैट्स के बहुत अधिक सेवन से व सोने-जागने से जुड़ी गलत आदतों तथा रोग या समस्याओं के चलते लिवर क्षतिग्रस्त होता है.
क्या कहता है नया शोध :फैटी लिवर डिजीज को लेकर किए गए इस हालिया शोध में शोधकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया है कि आहार में कुछ पोषक तत्वों विशेषकर विटामिन बी12 और फोलेट की भरपूर मात्रा इस रोग से राहत दिलाने में काफी मदद कर सकती है. शोधकर्ताओं ने शोध के निष्कर्षों में बताया है कि ये पोषक तत्व लिवर की सूजन कम करने तथा रोग के कारण लिवर को पहुंची क्षति के प्रभावों में सुधार करने में काफी मददगार हो सकते हैं. उनके अनुसार इस समस्या में जब लिवर में ज्यादा मात्रा में वसा जमा होने लगती है तो उसके कारण लिवर में गंभीर घाव होने लगते हैं, वहीं लिवर का आकार भी बढ़ने लगता है. इसके अलावा कई बार इस अवस्था में शरीर में सिंटेक्सीन 17 नामक एक प्रोटीन की कमी भी हो सकती है जिसके कारण भी लिवर में सूजन बढ़ सकती है. यह प्रोटीन दरअसल लिवर में जमा वसा का प्रबंधन करने या उसे कम करने में तथा पाचन व मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त रखने में मदद करता है. वहीं इस प्रोटीन की कमी होने पर लिवर के क्षतिग्रस्त सेल्स को साफ करने में भी परेशानी होने लगती है जिससे रोग के प्रभाव ज्यादा बढ़ सकते हैं व गंभीर भी हो सकते हैं. विटामिन बी12 और फोलेट शरीर में इस प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाते है जिससे लिवर की सूजन और घाव कम होते हैं और इस समस्या में राहत मिल सकती है.