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Vaccination : महामारी-वायरस के बढ़ते प्रकोप से निजात दिलाएगा टीका,जानिए विश्व टीकाकरण सप्ताह से जुड़े फैक्ट्स व थीम

हर साल अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह में टीकों के महत्व तथा उन्हें लगवाने की जरूरत को लेकर, आमजन को जागरूक करने के उद्देश्य से विश्व टीकाकरण सप्ताह मनाया जाता है. World Immunization Week 2023 . Immunization Week . Immunization . Vaccination Week .

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विश्व टीकाकरण सप्ताह

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Published : Apr 24, 2023, 2:25 PM IST

बच्चे हो या बड़े, सभी के लिए कई बीमारियों या संक्रमणों से बचाव में टीकाकरण या वैक्सीनेशन काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं. कोविड़ 19 जैसी महामारी से बचाव में तो टीकाकरण की भूमिका काफी अहम रही थी. लेकिन इसके बावजूद नवजात बच्चे हों या बड़े सभी में सभी जरूरी वैक्सीन के टीकाकरण होने का आंकड़ा शतप्रतिशत नहीं है. इसके लिए जागरूकता में कमी, टीकों को लेकर आम जन के मन में डर तथा कई बार टीकों की अनउपलब्धता सहित कई कारणों को जिम्मेदार माना जा सकता है. World Immunization Week 2023 . Immunization Week . Immunization .

टीकों के महत्व तथा उन्हें लगवाने की जरूरत को लेकर आमजन को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह में विश्व टीकाकरण सप्ताह मनाया जाता है. यूनिसेफ के अनुसार दुनिया भर में लगभग 20 मिलियन बच्‍चों को अलग-अलग कारणों से वैक्‍सीन नहीं लग पाती है जिसके चलते बड़ी संख्या में उनकी जान भी चली जाती है. यहीं नहीं जब कोविड़ 19 महामारी से बचाव में भी टीकाकरण को सबसे महत्वपूर्ण माना गया था तथा सभी लोगों को इसे लगवाने के लिए निर्देशित किया गया था , उसके बावजूद बड़ी संख्या में लोगों में कोरोना के टीके को लेकर भी डर, असमंजस व हिचक देखी गई थी.

विश्व टीकाकरण सप्ताह 2023

ऐसे बहुत से रोग व संक्रमण हैं जिनसे बचाव में वैक्सीन या टीका बहुत जरूरी भूमिका निभाते हैं . लेकिन इसके बावजूद बहुत से लोग विशेषकर बच्चे अलग अलग कारणों से जरूरी टीके नहीं लगवा पाते हैं. अलग-अलग तरह की बीमारियों से बचाव के लिय टीकों के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर साल अप्रैल के आखिरी सप्ताह में विश्व स्वास्थ्य संगठन के तत्वावधान में वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम के तहत “विश्व टीकाकरण सप्ताह” या “वर्ल्ड इम्यूनाईजेशन वीक” मनाया जाता है. इस वर्ष यह आयोजन 24 से 30 अप्रैल के बीच "द बिग कैच-अप" थीम पर मनाया जा रहा है.

उद्देश्य तथा इतिहास
गौरतलब है कि बच्चे के जन्म के तत्काल बाद से ही उसे कई जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए कई प्रकार के टीके लगाए जाते हैं. वहीं वयस्कों में भी कई बीमारियों से बचाव के लिए टीके लगाने की सलाह दी जाती है. टीके के फायदे जानने के बावजूद बड़ी संख्या में लोगों में टीकों को लेकर एक झिझक या डर आमतौर पर देखने में आता है. विश्व टीकाकरण सप्ताह के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विभिन्न अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय समूहों के साथ मिलकर टीके से रोकी जा सकने वाली बीमारियों से बचाने और आम लोगों में इसे लेकर डर को कम करने के लिए जागरूकता अभियान आयोजित किये जाते है.

इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व टीकाकरण सप्ताह 2023 की गतिविधियां “ प्रभावी टीकाकरण कार्यक्रम शुरू करने के लिए आवश्यक तकनीकी सहायता और आवश्यक जानकारी प्रदान करने में सरकारों की सहायता करने तथा टीके और टीकाकरण के महत्व पर जोर देने” पर केंद्रित की गई है, जिससे अधिक से अधिक लोगों, विशेष रूप से बच्चों को रोकी जा सकने वाली बीमारियों से बचाया जा सके.

गौरतलब है कि वर्ष 1960 में सबसे पहली बार टीकाकरण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. शुरुआत से ही जिन देशों में नवजातों में टीकाकरण की दर ज्यादा रही ,उन देशों में काफी हद ऐसे रोगों या संक्रमणों से पांच वर्ष से कम की उम्र वाले बच्चों की मृत्यु दर में काफी कमी आई, जिनसे टीकों से बचाव संभव हैं.

वर्तमान समय में तमाम राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नतीजा है की दुनिया भर में लोगों विशेषकर नवजातों में टीकाकरण की जरूरत को लेकर जागरूकता बढ़ रही है.ज्ञात हो कि भारत सरकार द्वारा भी टीकाकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम, सघन मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई)3.0 योजना व प्लस पॉलियों कार्यक्रम सहित कई अभियान चलाए जा रहे हैं.

टीकाकरण की जरूरत
गौरतलब है कि वायरस या बैक्टीरिया के कारण होने वाले के संक्रामक रोगों से बचाव के लिए टीकाकरण किया जाता है. ऐसे रोग या संक्रमण जिन्हें टीकाकरण के माध्यम से रोका जा सकता है, उन्हें वैक्सीन-रोकथाम योग्य रोग या वीपीडी के रूप में जाना जाता है. चिंता की बात है कि कई वीपीडी अभी भी 5 साल से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक माने जाते हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्ष 2019 और वर्ष 2021 के बीच वैश्विक स्तर पर ऐसे बच्चे जिनका टीकाकरण नहीं हुआ हैं उनकी संख्या में लगभग 50 लाख की वृद्धि हुई है. वहीं वर्ष 2022 में, 2019 की तुलना में 35 लाख लड़कियों को मानव पेपिलोमावायरस के खिलाफ टीका नहीं लगाया जा सका था. इसका एक सबसे बड़ा कारण आमजन में जागरूकता की कमी को माना जा सकता है.

चिकित्सकों के अनुसार सही समय पर सही टीकाकरण होने से से ना सिर्फ बच्चों बल्कि वयस्कों में भी रुग्णता और मृत्यु दर को कम किया ही जा सकता है साथ ही उनके जीवन की गुणवत्ता को भी बेहतर किया जा सकता है. गौरतलब है कि बच्चों व बड़ों में वीपीडी जैसे पोलियो, डिप्थीरिया, टेटनस, कोविड-19 आदि सहित कई अन्य संक्रामक रोगों पर अंकुश लगाने में टीकाकरण काफी मददगार हो सकते हैं. “विश्व टीकाकरण सप्ताह” स्वास्थ्य सेवाओं तथा अन्य संबंधित संगठनों को एक मौका देता है कि वे आम जन में समय पर टीकाकरण की आवश्यकता और इसके सुरक्षा मापदंडों को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए प्रयास कर सकें.

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