बहुत से ऐसे लोग, जो नियमित व्यायाम के आदी रहे हों ,संक्रमण से ठीक होने के एक या दो महीने उपरांत बाद अपनी पुरानी दिनचर्या में वापस आना चाहते हैं।कई लोग,कोविड से ठीक होने के एक या दो महीने बाद,अपनी सामान्य दिनचर्या में वापसी का प्रयास करने लगते हैं जिनमें नियमित कसरत सत्र भी शामिल होते हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है की कुछ बातों और सुझावों को अवश्य ध्यान में रखा जाए |
कोविड -19 से ठीक होने के लंबे समय बाद तक नियमित व्यायाम या फिटनेस दिनचर्या का पालन पीड़ित के लिए कठिन हो सकता है। हालांकि संक्रमण से ठीक होने के तत्काल उपरांत चिकित्सक व्यायाम से परहेज की बात करते हैं लेकिन साथ ही वे रिकवरी के कुछ समय उपरांत पर्याप्त पोषण के साथ धीमी गति से व्यायाम शुरू करने की बात भी कहते है। डॉक्टर्स चॉइस के संस्थापक और फिटनेस प्रैक्टिशनर अंकित झा सुझाव देते हैं की चाहे योगिक ब्रिदिंग हो या धीमी गति से जॉगिंग करना, इन विशेष टिप्स तथा बातों को ध्यान में रख कर रिकवरी कर रहे लोग सुरक्षित तरह से व्यायाम कर सकते है।
तिदिन योग का अभ्यास फायदेमंद
प्राचीन काल से लेकर आज तक योग एक प्राकृतिक उपचारकर्ता माना जाता रहा है। किसी भी प्रकार की बीमारी से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत होना चाहिए, फिर चाहे वह कोविड हो या घातक कैंसर। योग और प्राणायाम का अभ्यास कोविड पीड़ित लोगों के आंतरिक तंत्रों की मजबूती में मदद करते हैं और इनके नियमित अभ्यास से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में वृद्धि होती है ।
कोविड में कपालभाती को काफी असरदार माना जाता है। साँस लेने की इस तकनीक से एलर्जी, साइनस और फेफड़ों को साफ करने में मदद मिलती है। साथ ही इसका अभ्यास चयापचय में वृद्धि, हड्डियों का स्वास्थ्य बेहतर करने, वजन घटाने, बेहतर परिसंचरण और ऑक्सीजन की आपूर्ति में भी मदद करता है, साथ ही शरीर को रसायनों, पोषक तत्वों, सूक्ष्म पोषक तत्वों, आयरन, प्रोटीन, विटामिन, विटामिन डी और बी-12 को बेहतर तरीके से अवशोषित करने के लिए सक्षम बनाता है।
टहलना या धीमी गति से जोगिंग करना लाभकारी
चाहे सामान्य रोग हो या कोरोना संक्रमण, शरीर पर उनके पार्श्व प्रभावों का ठीक होना एक या दो दिन में संभव नही होता है। ऐसे में यदि कम तीव्रता वाले व्यायाम किए जाये तो अत्यधिक थकान, जोड़ों का दर्द और सांस फूलने जैसी व्यायाम के उपरांत होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है। इस अवस्था में शीघ्र रिकवरी के लिए टहलना या धीमी जॉगिंग फायदेमंद हो सकती है। ताजी हवा में और तेज धूप में घूमने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है बल्कि आपका मूड भी अच्छा होता है और तनाव का स्तर कम होता है। खुली हवा में गहरी सांस लेते हुए थोड़ी देर टहलना फेफड़ों को सुरक्षित रखता है और उनकी क्षमता को बढ़ाता है।
कैलिस्थेनिक्स अभ्यास लाभकारी