देहरादून शहर की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. लतिका जोशी बताती हैं की बच्चे के सम्पूर्ण विकास और अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है की उसे सही मात्रा में और जरूरी भोजन मिले. कई बार बच्चों के भोजन की मात्रा और सही भोजन की जानकारी के अभाव में विशेषकर नई माएं या तो बच्चों को जरूरत से ज्यादा भोजन खिला देती है, जिससे वजन बढ़ने या पाचन तंत्र में समस्या उत्पन्न होने लगती है या कम मात्रा में भोजन मिलने की अवस्था में उनके शरीर में पोषण का अभाव होने लगता है.
कैसा हो उम्र के अनुसार शिशु का आहार
- 0-6 माह तक :डॉ. लतिका जोशी बताती है की जन्म से लेकर पहले छह माह तक बच्चे को सिर्फ मां का दूध ही दिया जाना चाहिए. बच्चे के विकास के लिए जरूरी पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, सभी प्रकार के विटामिन, मिनरल तथा अन्य पोषक तत्व उसे मां के दूध में ही मिल जाता है, और वैसे भी पहली छमाही में बच्चे का पाचन तंत्र बहुत नाजुक होता है, इसलिए इस समयावधि में बच्चे को कोई भी ऊपरी खुराक नहीं देनी चाहिए. लेकिन इस दौरान बहुत जरूरी है की मां पोषक तत्वों से भरपूर और पेट भर कर भोजन करे, क्योंकि इस दौरान बच्चे का पोषण उसकी मां के दूध पर ही निर्भर करता है.
- 7-8 माह तक :छह महीने के उपरांत बच्चे का पाचन तंत्र धीरे-धीरे काम करना शुरू करने लगता है और हल्के फुल्के भोजन को पचाने में समर्थ होने लगता हैं. डॉ. जोशी बताती है की हमारी भारतीय परंपरा में आमतौर पर छठवे माह में बच्चों का अन्नप्राशन करने का ये ही कारण होता है.
- ऊपरी भोजन शुरू करने के उपरांत पहले बच्चे को तरल आहार ही देना चाहिए, ताकि बच्चे के पाचन तंत्र पर बहुत ज्यादा जोर ना पड़े और उससे सही पोषक तत्व भी मिले. इसके लिए दूध के अलावा दाल का पानी, सब्जियों का क्लियर यानि छना हुआ सूप, फलों का जूस तथा चावल का मांड दिया जा सकता है.
- 7 से 12 माह तक :सातवें माह से बच्चे के पाचन तंत्र को ऊपरी आहार पचाने की थोड़ी-थोड़ी आदत पड़ने लगती है, लेकिन अभी भी वह इतना मजबूत नहीं होता है की वह रोटी सब्जी जैसा वयस्कों जैसा भोजन खा सके. लेकिन उसके शरीर को बढ़ने के लिए शरीर में ज्यादा पोषक तत्वों की जरूरत पड़ने लगती है. ऐसे में बच्चे को दाल या सब्जी में भिगोकर और मसल कर रोटी सब्जी दी जा सकती है. इसके अलावा पतली खिचड़ी, जौ या गेहूं का सीरा, मसला हुआ पनीर, मसली हुई उबली हुई सब्जियां दी जा सकती है.
क्या ना दें बच्चे को
डॉ. जोशी बताती है की पहले बारह महीने बच्चे के खानपान पर ध्यान देना बहुत जरूरी है, क्योंकि इस समय उसका शरीर कमजोर होता है और किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या उसके लिए गंभीर हो सकती है. बहुत जरूरी है बच्चे की गतिविधियों पर ध्यान रखना तथा चिकित्सक से उसकी नियमित जांच करवाना. इस समयावधि में कुछ प्रकार के भोज्य पदार्थ ऐसे भी है, जिन्हें नन्हे बच्चों को देने से परहेज करना चाहिए.
- शहद
हालांकि भारत के कई हिस्सों में नवजात बच्चों की शहद की घुट्टी दिए जाने की परंपरा है, लेकिन चिकित्सकों का मानना है की कई बार शहद में ऐसे जीवाणु (बैक्टीरिया) मौजूद हो सकते हैं, जो इन्फेंट बॉटुलिज्म नामक दुर्लभ बीमारी पैदा करते हैं. इसके अलावा शहद भी एक प्रकार की चीनी ही है, जो शिशु के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है.
- अंडे, मछली तथा मीट