नए साल की शुरुआत बहुत से लोगों के लिए नए सपनों और उम्मीदों को लेकर आया है. खासतौर पर तब जब वर्ष 2020 ने लोगों को दिल और दिमाग दोनों तरफ से डर के पर्याय के रूप में विदा लिया है. पिछले साल कोरोना के चलते लोगों ने काफी तकलीफ में बिताया, लेकिन कहा जाता है न की हर बुरी बात हमें कुछ अच्छे अनुभव भी दे जाती है, इस तकलीफ भरे समय में भी कुछ अच्छी बातें हुई. साल के शुरुआत में ईटीवी भारत सुखीभवा आपके साथ सांझा कर रहा है कुछ खास बातें जो आपके चेहरे पर मुस्कुराहट दे जाएंगी.
मजबूत हुई पारिवारिक बुनियाद
आज के दौर में ज्यादातर लोग पढ़ाई, काम, आनंद और मनोरंजन के लिए अपने मोबाइल तथा लैपटॉप पर ही भरोसा करते हैं. जिसके चलते परिवार के सदस्यों के बीच एक अनदेखी दीवार सी रहती है तथा परिवार के सदस्यों में संवाद न के बराबर होता है. हालांकि महामारी के इस दौर में लोगों ने कई नई चुनौतियों का सामना किया लेकिन बहुत से लोगों ने इस मुश्किल दौर में अपने रिश्तों की नए सिरे से समीक्षा की. लंबे अरसे तक घर में एक साथ रहने से परिवार के सदस्यों के बीच भावनात्मक दूरी कम हुई. कभी शतरंज, तो कभी कैरम की बाजियों के साथ चाय की चुसकियों ने परिवार के सदस्यों के रिश्तों में भी नई गर्माहट भर दी और एक परिवार के रूप में लोगों को काफी नजदीक ला दिया.
इसके अलावा हमेशा से घर के कामों की जो जिम्मेदारियां सिर्फ घर की महिलाएं निभाती थी, संकट के इस काल में परिवार के सभी सदस्यों ने मिलजुल कर कार्य करने का प्रयास किया.
डिजिटल विकास
सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के चलते लोगों के जीवन जीने का तरीका ही बदल गया है. लेकिन इस परीस्थिति का फायदा यह हुआ की डिजिटल नेटवर्क और उसके उपयोग को लेकर लोग जागरूक हुए. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक तभी ने ऑनलाइन कल्चर को हाथों हाथ लिया. पढ़ाई के अलावा लोगों ने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, नए-नए व्यंजन सीखने, हर क्षेत्र से जुड़े नए कोर्स करने तथा जानकारियां लेने के लिए डिजिटल सपोर्ट सिस्टम की सहायता ली. डिजिटल समृद्धता का ही नतीजा रहा की खरीदारी से लेकर वर्क फ्रॉम होम तथा ऑनलाइन पढ़ाई सभी माध्यमों ने किसी न किसी तरीके से आम जन को फायदा पहुंचाया.
सामुदायिक एकता बढ़ी
जानकार कहते हैं कि महामारी से साये में परिवार और रिश्तों में मजबूती के साथ ही लोगों में सामुदायिक एकता भी बढ़ी. लॉकडाउन के दौरान घंटी या थाली बजाना हो या दिया जलाना, लोगों ने जिस तरह से एक साथ इस गतिविधियों में भाग लिया उससे यह संदेश गया की परेशानी चाहे कैसी भी हो जहां बात देश का मनोबल बढ़ाने की आती है तो सभी लोग एक साथ खड़े है. इसके अलावा महामारी को दौर में जरूरत पड़ने पर सभी लोग एक दूसरे की मदद करने के लिए आगे आए. बहुत से लोग जब पैदल सैकड़ों किलोमीटर का सफर कर अपने घर जा रहे थे तो बड़ी संख्या में लोगों ने आगे बढ़ कर उनके लिए भोजन, कपड़ों और जूते चप्पलों को व्यवस्था की. यहीं नहीं जिनसे संभव हो सका उन्होंने पैसे से भी जरूरतमंदों की मदद की.
लोगों में स्वास्थ्य को लेकर बढ़ी जागरूकता
कोरोना के चलते एक और अच्छी बात हुई की लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा जागरूक हुए. उन्होंने पोषक भोजन, नियमित व्यायाम तथा साफ सफाई के महत्व को माना तथा उन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल किया. इस बदलाव ने सिर्फ कोरोना से ही नहीं बल्कि हर प्रकार के रोग तथा संक्रमण से लोगों ने काफी हद तक स्वयं को बचाया. मास्क, सैनिटाइजर का उपयोग, सामाजिक दूरी, जहां तक संभव हो घर से बाहर किसी भी वस्तु को न छूना जैसी स्वस्थ आदतों को लोगों ने अपनी आदत बनाया.