इस्लामाबाद :पाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि देश में एमपॉक्स का पहला मामला दर्ज किया गया है, जिसे पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था. समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने पिछले दिन एक मरीज में एमपॉक्स संक्रमण की पुष्टि की. मंत्रालय ने कहा कि मामले का पता चलने के बाद, पाकिस्तान के सभी हवाईअड्डों के अधिकारियों स्वास्थ्य नियामक दिशानिर्देशों को लागू कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि सीमा स्वास्थ्य सेवा पाकिस्तान पूरी स्थिति की निगरानी कर रही है.
मंत्रालय ने कहा, जनता को बीमारियों और महामारी से बचाने के लिए सभी आवश्यक उपाय सुनिश्चित किए गए हैं. 1 जनवरी, 2022 और 24 अप्रैल, 2023 के बीच डब्ल्यूएचओ को रिपोर्ट किए गए 87,113 पुष्ट मामलों के साथ, पिछले साल से दुनिया भर में एमपॉक्स के मामले बढ़ रहे हैं. एमपॉक्स पारंपरिक रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के क्षेत्रों तक ही सीमित है. इसके लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, चकत्ते आदि शामिल है.
एमपॉक्स के लक्षण और इसका इलाज कैसे किया जाता है
मंकीपॉक्स चेचक के ही वायरस परिवार से संबंधित है, लेकिन इसके हल्के लक्षण होते हैं. अधिकांश रोगियों को केवल बुखार, शरीर में दर्द, ठंड लगना और थकान का अनुभव होता है. अधिक गंभीर बीमारी वाले लोग चेहरे और हाथों पर दाने और घाव विकसित कर सकते हैं जो शरीर के अन्य भागों में फैल सकते हैं, लगभग पांच दिनों से तीन सप्ताह तक है. अधिकांश लोग बिना अस्पताल में भर्ती हुए लगभग दो से चार सप्ताह में ठीक हो जाते हैं. मंकीपॉक्स 10 लोगों में से एक के लिए घातक हो सकता है और बच्चों में अधिक गंभीर माना जाता है. वायरस के संपर्क में आने वाले लोगों को अक्सर चेचक के कई टीकों में से एक दिया जाता है, जो मंकीपॉक्स के खिलाफ प्रभावी साबित होते हैं. एंटी-वायरल दवाएं भी विकसित की जा रही हैं.
नया नामकरण
वैश्विक विशेषज्ञों के साथ परामर्श के बाद WHO ने मंकीपॉक्स के पर्याय के रूप (Monkeypox Scynonym ) में एक नया पसंदीदा शब्द ऐमपॉक्स ( Mpox ) दिया है. दोनों नामों का एक साथ एक वर्ष के लिए उपयोग किया जाएगा और मंकीपॉक्स चरणबद्ध रूप से समाप्त हो जाएगा. ऑनलाइन प्रकाशित Colorado Boulder research के नए जर्नल सेल के मुताबिक इस वायरस का एक अस्पष्ट परिवार पहले से ही जंगली अफ्रीकी प्राइमेट्स में बसा है और कुछ बंदरों में घातक इबोला जैसे लक्षण पैदा करने के लिए जाना जाता है. इस तरह के विषाणुओं को पहले से ही मकाक बंदरों के लिए एक गंभीर खतरा माना जाता है, हालांकि अब तक इसके मानव संक्रमण की सूचना नहीं है. और इस वायरस का लोगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह तय नहीं है.
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