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हॉट फ्लैश : केवल महिलाओं को नहीं, पुरुषों को भी करता है प्रभावित

हॉट फ्लैश दरअसल वह अवस्था है जहां अचानक शरीर में गर्मी महसूस होने, पसीना आने, घबराहट होने तथा गर्मी लगने पर नजर आने वाले सभी प्रभाव तीव्र रूप में नजर आने लगते हैं. हॉट फ्लैश की अवस्था में कई बार व्यक्ति सर्दी के मौसम में भी बगैर ज्यादा गरम कपड़े पहने पसीने से तरबतर हो सकता हैं.

Hot Flashes in women
महिलाओं में हॉट फ्लैश की समस्या (कांसेप्ट फोटो)

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Published : Nov 22, 2022, 3:57 PM IST

हॉट फ्लैश की समस्या को आमतौर पर महिलाओं में मेनोपॉज से जोड़ कर देखा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह समस्या पुरुषों में भी नजर आ सकती है? सिर्फ मेनोपॉज ही नहीं, बल्कि महिलाओं और पुरुषों दोनों को, कई बार किसी दवा, इलाज या अन्य कारणों के प्रतिक्रिया स्वरूप हार्मोन में असंतुलन होने पर हॉट फ्लैश का सामना करना पड़ सकता है.

हार्मोन में असंतुलन है हॉट फ्लैश
महिलाओं में मेनोपॉज के दौरान कई तरह की समस्याएं नजर आती हैं. लेकिन इस दौरान जो समस्या उन्हे ज्यादा परेशान करती है वह है 'हॉट फ्लैश'.

हॉट फ्लैश दरअसल वह अवस्था है जहां अचानक शरीर में गर्मी महसूस होने, पसीना आने, घबराहट होने तथा गर्मी लगने पर नजर आने वाले सभी प्रभाव तीव्र रूप में नजर आने लगते हैं. हॉट फ्लैश की अवस्था में कई बार व्यक्ति सर्दी के मौसम में भी बगैर ज्यादा गरम कपड़े पहने पसीने से तरबतर हो सकता हैं. महिलाओं में यह समस्या आमतौर पर पेरी मेनोपॉज से लेकर पोस्ट मेनोपॉज की अवधि तक नजर आती है. महिलाओं में मेनोपॉज के दौरान हॉट फ्लैश की समस्या के लिए हार्मोन में असंतुलन को जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन मेनोपॉज के अलावा भी कई अन्य कारणों से हार्मोन में असंतुलन होने पर यह समस्या महिलाओं ही नहीं पुरुषों में भी नजर आ सकती है.

पुरुषों में हॉट फ्लैश की समस्या (कांसेप्ट फोटो)

हॉट फ्लैशेज के कारण व लक्षण
महिलाओं में मेनोपॉजके दौरान होने वाले हॉट फ्लैश के कारणों की बात करें तो इस अवधि के दौरान शरीर में कुछ हार्मोन के स्तर में असंतुलन बढ़ने लगता है जैसे एंडोक्राइन और एस्ट्रोजन हार्मोन. जिसके कारण शरीर का तापमान कई बार अचानक बढ़ जाता है और साथ ही शरीर में ज्यादा गर्मी के चलते नजर आने वाले प्रभाव भी दिखने लगते हैं. जैसे ज्यादा पसीना आना, घबराहट होना, शरीर में खुश्की होना आदि. हार्मोन में असंतुलन के चलते महिलाओं में इस अवधि में कई बार तनाव तथा अन्य कई शारीरिक व व्यवहारात्मक समस्याएं व बदलाव भी नजर आने लगते हैं.

लेकिन हॉट फ्लैश की समस्या सिर्फ मेनोपॉज के दौरान नजर आने वाली या सिर्फ महिलाओं में नजर आने वाली समस्या नहीं है. पुरुषों में भी कई बार हार्मोन में असंतुलन होने पर यह समस्या नजर आ सकती है. विशेषतौर पर पुरुषों में सेक्स हार्मोन कहे जाने वाले टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर कम होने पर हॉट फ्लैश की समस्या हो सकती है.

मुंबई की आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ मनीषा काले बताती हैं कि महिलाओं तथा पुरुषों दोनों में कुछ हार्मोन विशेषकर सेक्स हार्मोन में असंतुलन होने पर शरीर में पित्त दोष की प्रधानता के साथ वात दोष भी असंतुलित होने लगता है. महिलाओं में इसका प्रभाव ज्यादा नजर आता है. इस अवस्था में महिलाओं को कभी-कभी अचानक शरीर में तेज गर्माहट, घुटन, असहजता व बेचैनी के साथ त्वचा में खुश्की व रुखापन, यहां तक की योनी में भी शुष्कता महसूस होने लगती है.

कई बार हॉट फ्लैश का प्रभाव इतना तीव्र हो सकता है कि एसी वाले कमरे में या पंखे के सामने बैठने पर भी तेज गर्मी महसूस हो सकती है. वह बताती हैं कि हॉट फ्लैश में ज्यादातर शरीर के ऊपरी भाग जैसे चेहरे, गर्दन, कान, छाती और अन्य भागों में ज्यादा गर्मी लगती है और ज्यादा पसीना आता है. इसके अलावा अंगुलियों में झनझनाहट होने, मतली जैसा महसूस होने तथा हृदय गति के सामान्य से ज्यादा बढ़ जाने जैसे लक्षण भी नजर आने लगते हैं.

हॉट फ्लैश की समस्या (कांसेप्ट फोटो)

हॉट फ्लैश के अन्य कारण
डॉ मनीषा बताती हैं कि महिलाओं व पुरुषों में हार्मोन में असंतुलन के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं. जो हॉट फ्लैश का कारण बन सकते हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • कुछ तीव्र प्रभाव वाली दवाओं, तेज एंटीबायोटिक या स्टेरॉयड युक्त दवाओं के सेवन के कारण
  • किसी जटिल रोग या उसके उपचार के रूप में दी जाने वाली थेरेपियों जैसे कीमोथेरेपी आदि के कारण
  • ज्यादा तेज मिर्च मसाले वाले, ज्यादा तेल में बने या तले हुए भोजन तथा गरिष्ठ भोजन के सेवन के कारण
  • किसी प्रकार की फूड एलर्जी के कारण
  • एंग्जायटी या चिंता व घबराहट, बहुत ज्यादा क्रोध व बहुत ज्यादा डर के कारण
  • थायरॉएड हार्मोन में असंतुलन तथा हायपरथायरोडीज़्म के कारण
  • शराब, कैफीन तथा धूम्रपान के ज्यादा सेवन के चलते

वह बताती हैं कि इनके अलावा गर्भावस्था की पहली और दूसरी तिमाही यानी पहले छः महीने में भी शरीर में लगातार बदलाव के चलते यह समस्या हो सकते हैं.

हॉट फ्लैश की समस्या (कांसेप्ट फोटो)

हॉट फ्लैश से कैसे बचें
डॉ मनीषा बताती हैं कि हार्मोन में असंतुलन होने पर इस तरह के प्रभाव नजर आना स्वाभाविक है और इनसे पूरी तरह से बचना ज्यादातर मामलों में संभव नहीं हो पाता है. हालांकि हार्मोन थेरेपी तथा इलाज के कुछ अन्य तरीकों से इस समस्या का इलाज किया जा सकता है लेकिन इलाज तथा उसकी सफलता पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करती है कि हॉट फ्लैश की समस्या का कारण क्या है. लेकिन आहार तथा जीवनशैली में थोड़ा संतुलन व अनुशासन बरत कर काफी हद तक इस समस्या के प्रभाव को कम जरूर किया जाता है.

ऐसा हो आपका आहार
वह कहती हैं कि आहार की बात करें तो वैसे तो सामान्य रोजमर्रा के आहार में ही सरलता से पचने वाले, कम मिर्च-घी-तेल-मसाले वाले तथा पोषण से भरपूर भोजन को प्राथमिकता देनी चाहिए. लेकिन किसी प्रकार की जटिल बीमारी या उसके उपचार के दौरान, तीव्र प्रभाव वाली दवाइयों के सेवन के दौरान, मेनोपॉज या ऐसी किसी भी अवस्था में जहां शरीर में हार्मोन का स्तर ज्यादा या कम हो सकता है, जरूरी तौर पर तथा सख्ती से ज्यादा मसालेदार व तेल वाले, ज्यादा चीनी युक्त, तथा विशेषतौर पर मैदे से बने आहार से परहेज करना चाहिए. इसके अलावा सॉफ्ट ड्रिंक्स, कैफीन युक्त पेय पदार्थ, शराब तथा धूम्रपान से परहेज भी बेहद जरूरी है.

इस अवस्था में शरीर में बदलावों को नियंत्रित रखने में पोषक तत्वों से भरपूर तथा सुपाच्य माना जाने वाला आहार जैसे दालें, ताजे फल व सब्जियां तथा सबूत अनाज विशेषकर खनिज, विटामिन तथा एंटीऑक्सीडेंट युक्त आहार काफी लाभकारी हो सकते हैं.

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ऐसी चाहिए जीवनशैली
वही जीवनशैली की बात करें तो ऐसी सक्रिय जीवन शैली जिसमें नियमित व्यायाम तथा शारीरिक व मानसिक रूप से सक्रिय रहने से जुड़ी गतिविधियां शामिल हों, सोने-उठने, भोजन के समय तथा व्यायाम के समय से संबंधित अनुशासन शामिल हो, को अपनाना काफी लाभकारी होता है.

वह बताती हैं कि दिनचर्या में सक्रियता के अलावा ऐसी गतिविधियों को शामिल करना भी लाभकारी रहता है जो तनाव तथा मूड स्विंग्स जैसे अचानक गुस्सा, घबराहट तथा बेचैनी आदि को नियंत्रित रख सकें. जैसे हॉबी का पालन करना, दोस्तों व परिजनों के साथ समय बिताना, ऐसे कार्यक्रम देखना जो आपको हसाए आदि.

डॉ मनीषा बताती हैं कि हॉट फ्लैश की समस्या को किसी भी परिस्थिति में नजरअंदाज नहीं करना चाहिए तथा ऐसा होने पर दूसरों से सुनकर खुद ही अपना इलाज करने की बजाय चिकित्सक से पूरी जांच तथा इलाज करवाना चाहिए.

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