नई दिल्ली :भारत में इस समय खांसी, शरीर में दर्द, बुखार और गले में खराश जैसी सांस की बीमारी में वृद्धि देखी जा रही है, लेकिन यह कैसे पता चलेगा कि यह इन्फ्लुएंजा है, जो एच3एन2 वायरस के कारण होता है, या कोविड, जो ओमिक्रॉन सब-वेरिएंट एक्सबीबी.1.5 और एक्सबीबी.1.16 के कारण होता है? इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च- ICMR के आंकड़ों के मुताबिक, कोविड-19 वायरस, स्वाइन फ्लू ( H1N1 ), H3N2 और मौसमी विक्टोरिया और यामागाटा वंश के इन्फ्लुएंजा बी वायरस से लेकर परिसंचरण में श्वसन वायरस का कंबिनेशन रहा है .
H3N2 और एच13एन1 दोनों प्रकार के इन्फ्लुएंजा ए वायरस हैं, जिन्हें आमतौर पर फ्लू के रूप में जाना जाता है. कुछ सबसे आम लक्षणों में लंबे समय तक बुखार, खांसी, नाक बहना और शरीर में दर्द शामिल हैं. लेकिन गंभीर मामलों में, लोगों को सांस फूलने और/या घरघराहट का भी अनुभव हो सकता है. इसके अलावा, कोविड भी बढ़ रहा है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के गुरुवार को अपडेट किए गए आंकड़ों के अनुसार, चार महीने से अधिक के अंतराल के बाद एक दिन में 700 से अधिक कोविड-19 मामले दर्ज किए गए, कुल सक्रिय मामले 4,623 तक पहुंच गए हैं.
अंतर करना मुश्किल
स्वास्थ्य विशेषज्ञ ध्यान दें कि तीनों के नैदानिक अभिव्यक्तियों के बीच अंतर करना बहुत मुश्किल है और भेदभाव आम तौर पर एक नासॉफिरिन्जियल स्वैब नमूने से प्रयोगशाला निदान पर आधारित होता है. सर एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन डॉ. सम्राट शाह ने आईएएनएस से कहा, "मौजूदा क्लिनिकल परिदृश्य में केवल यही अंतर है कि कोविड के लक्षण बमुश्किल 2-3 दिनों तक रहते हैं और मरीज बिना किसी परेशानी और किसी बड़े इलाज के जल्द ही ठीक हो जाता है." शाह ने कहा,"जबकि एच3एन2 और एच13एन1 के साथ उत्पादक और गीली खांसी के लिए अधिक पूवार्भास होता है जो कुछ हफ्तों तक रहता है और इसमें निमोनिया या द्वितीयक जीवाणु संक्रमण होने की अधिक संभावना होती है."
इन लोगों को ज्यादा खतरा
एस.एल. रहेजा अस्पताल, माहिम में सलाहकार और प्रमुख-क्रिटिकल केयर डॉ. संजीत ससीधरन ने कहा, "एच3एन2 से प्रभावित लोगों में गले में जलन और आवाज में भारीपन बढ़ जाता है, जो दो से तीन सप्ताह तक रहता है." उन्होंने आईएएनएस को बताया, "कोविड-19 से संक्रमित लोगों में आमतौर पर बंद नाक और तीन से चार दिनों तक रहने वाला बुखार होता है."उन्होंने कहा कि इन्फ्लुएंजा घातक नहीं है. लेकिन वायरस के बावजूद अगर कोई प्रमुख सहरुग्ण कारक है तो रुग्णता और मृत्युदर की अधिक संभावना है. छोटे बच्चों, शिशुओं, सहरुग्णता वाले वयस्कों, 65 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गो, गर्भवती रोगियों, प्रतिरक्षा में अक्षम रोगियों आदि के लिए भी जोखिम अधिक है.
H3N2 Virus से होने वाली मौतों की संख्या
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश में एच3एन2 से होने वाली मौतों की कुल संख्या अब नौ हो गई है. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने अभी तक मरने वालों की आधिकारिक संख्या जारी नहीं की है. गुरुवार को सुबह 8 बजे अपडेट किए गए स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार , 24 घंटे की अवधि में कोविड के कुल 754 नए मामले सामने आए, जबकि कर्नाटक से आई एक मौत की रिपोर्ट के साथ मरने वालों की संख्या बढ़कर 5,30,790 हो गई है.