यह तो सभी जानते हैं कि सर्दियों का मौसम बीमारियों का मौसम कहलाता है. इस मौसम में सर्दी जुखाम होना बहुत ही आम बात होती है. लेकिन कई बार हल्की फुल्की सर्दी या जुकाम का इलाज ना करना या उसे अनदेखा करना भारी पड़ सकता है क्योंकि इससे नाक और गले के अलावा कान में भी गंभीर संक्रमण या समस्या होने की आशंका बढ़ सकती है.
चिकित्सकों का मानना है कि सर्दियों के मौसम में नाक बहने या सर्दी जुखाम के अन्य लक्षण नजर आने के साथ ही यदि कान में दर्द हो या उसमें सीटी जैसी आवाज आने लगे तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना बहुत जरूरी होता है.
इंदौर के नाक कान गला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर संजीव शाह बताते हैं कि सर्दियों के मौसम में हल्के सर्दी या जुखाम को लेकर लापरवाही बरतने से कान में संक्रमण होने तथा फैलने की आशंका बढ़ जाती है. जिसके कारण कान में तीव्र दर्द, भारीपन महसूस होना, सुनने में समस्या होना, कान में सीटी या घंटी जैसी आवाज आना, चक्कर आना तथा मवाद आने जैसी कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. डॉक्टर संजीव बताते हैं कि वैसे तो यह समस्या बड़ों में भी काफी आम है, लेकिन बच्चों में इसका प्रभाव ज्यादा नजर आ सकता है क्योंकि आमतौर पर खेलने कूदने के चलते वे ना तो सर्दी जुखाम के प्रारंभिक लक्षणों को समझ तथा बता पाते हैं, और समस्या होने के बाद ज्यादा ध्यान भी नहीं रख पाते हैं.
क्यों बढ़ती है समस्या
डॉक्टर संजीव बताते हैं कि सामान्य सर्दी या जुखाम यदि गंभीर रूप लेने लगे तो कई बार मरीज को सांस लेने में तकलीफ तथा फेफड़ों संबंधी समस्या भी होने लगती है. वैसे भी सर्दियों के मौसम में ऐसे मरीजों में, जिन्हें पहले से अस्थमा या ब्रोंकाइटिस जैसी श्वास संबंधी समस्याएं हैं, रोग की गंभीरता बढ़ने की आशंका रहती है. इसके अलावा जो लोग ज्यादा प्रदूषण वाले इलाकों में रहते हैं उन्हे भी सर्दी जुखाम के अलावा श्वास संबंधी तथा उनसे जुड़े अन्य प्रकार के संक्रमण ज्यादा प्रभावित करते हैं.
वह बताते हैं कि यदि सामान्य तौर पर होने वाला सर्दी जुकाम ज्यादा दिन तक रहें तो नाक के पिछले भाग से कान तक आने वाली युस्टेकीयन ट्यूब प्रभावित होने लगती है, जिसके चलते कान में संक्रमण या सूजन होने का खतरा बढ़ जाता है. जो ध्यान ना देने पर गंभीर समस्या का रूप भी धारण कर सकता है.