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अनदेखा न करें टेस्टीकल्स में दर्द

पुरुषों में टेस्टिस या अंडकोष उनके शरीर का सबसे संवेदनशील और नाजुक हिस्सा होता है। अंडकोश में जरा सी असहजता या दर्द किसी गंभीर समस्या का कारण बन सकती है इसलिए बहुत जरूरी है की टेस्टिकल्स में किसी भी प्रकार के  दर्द को नजरअंदाज नही करना चाहिए।

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टेस्टीकल्स में दर्द

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Published : Jul 11, 2021, 9:01 AM IST

पुरुषों के टेस्टिकल्स में समस्या सामान्य नही होती है । यदि चोट या किसी अन्य कारण से पुरुषों को अंडकोश में दर्द महसूस हो तो उन्हे तुरंत चिकित्सक से परामर्श की सलाह दी जाती है। टेस्टिकल्स में दर्द होने का विभिन्न कारणों के बारें में जानने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने हैदराबाद के एन्डरोलोजिस्ट डॉ राहुल रेड्डी से जानकारी ली ।

टेस्टिकल्स का कार्य

डॉ राहुल बताते हैं की पुरुषों का अंडकोष यानी टेस्टिस उनके प्रजनन तंत्र का हिस्सा होता है। इसका कार्य वीर्य और टेस्टोस्टेरोन नामक मेल हॉर्मोन का उत्पादन करना होता है। वृषणों का आकार अंडे की तरह होता है, जिन्हें बाहर से स्क्रॉटम यानी अंडकोष की थैली सुरक्षा प्रदान करती है। किसी बीमारी या चोट के चलते इस अंग में हल्का, मध्यम या गंभीर स्तर का दर्द हो सकता है।

वे बताते हैं की टेस्टिकल्स में होने वाले दर्द को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है।

तीव्र (एक्यूट)वृषण दर्द:

तीव्र टेस्टिकुलर दर्द आमतौर पर काफी गंभीर होता है । इस अवस्था में टेस्टिकुलर क्षेत्र में अचानक सूजन या लाली आ जाती है और व्यक्ति को बुखार भी हो सकता है। कई बार इस समस्या के लिए वृषण मरोड़ को भी जिम्मेदार माना जाता है जिसमें वृषण अचानक मुड़ जाता है। जिससे वृषण को रक्त की आपूर्ति बंद हो जाती है और उसमें सूजन आ जाती है ।

  • तीव्र वृषण दर्द के अन्य संभावित कारण
  • वृषण उपांग या शुक्राणु कॉर्ड में मरोड़
  • एपिडीडिमाइटिस या ऑर्काइटिस जैसे संक्रमण
  • स्क्रोटल ट्रॉमा जिसके कारण इंट्राटेस्टिकुलर हेमेटोमा या हेमेटोसेले का निर्माण होता है, एपिडीडिमाइटिस
  • इडियोपैथिक स्क्रोटल एडिमा
  • हेनोच-शोनेलिन पुरपुरा जैसे प्रणालीगत वास्कुलिटिस की ओर ले जाने वाली स्थितियां
  • टेस्टिकुलर सूजन जैसे इनगुइनल हर्निया, हाइड्रोसेले, वैरिकोसेले।

क्रोनिक टेस्टिकुलर दर्द:

क्रोनिक टेस्टिकुलर दर्द को अक्सर लगातार या रुक-रुक कर होने वाले दर्द के रूप में परिभाषित किया जाता है जो आमतौर पर तीन या अधिक महीनों तक रहता है और अक्सर युवा पुरुषों में देखा जाता है। इसके लक्षण आमतौर पर ज्यादा गंभीर नहीं होते हैं और ज्यादातर दर्द की उत्पत्ति के स्थान के आधार पर दर्द के कारण की पहचान सरलता से हो जाती है।

  • क्रोनिक टेस्टिकुलर दर्दके कारण
  • ऑर्काइटिस, एपिडीडिमाइटिस, एपिडीडिमो-ऑर्काइटिस, फनिक्युलिटिस जैसे संक्रमण।
  • ट्यूमर के कारण होने वालए सौम्य या घातक घाव
  • ग्रोइन क्षेत्र में हर्नियास
  • हाइड्रोसेले, वैरिकोसेले, स्पर्मेटोसेले
  • मरोड़
  • किसी भी पेल्विक सर्जरी या ट्रॉमा का पिछला इतिहास

कैसे जाने टेस्टीकयुलर पेन (वृषण में दर्द) की गंभीरता

टेस्टीकयुलर पेन की समस्या से निजात पाने के लिए समस्या के इतिहास को जानने तथा शारीरिक परीक्षण बहुत जरूरी होता है। समस्या के बारें में ज्यादा जानकारी के लिए निम्न टेस्ट की मदद ली जा सकती है।

1. स्क्रोटल डॉपलर परीक्षण

2. अल्ट्रासाउंड

3. वीर्य संवर्धन

4. असुरक्षित संभोग के किसी भी इतिहास के मामले में एसटीडी मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए।

एहतियात तथा उपचार

डॉ राहुल बताते हैं की सर्जरी हमेशा अंतिम उपाय होती है। बहुत जरूरी है की समस्या के मूल कारण की पहचान कर और उसका इलाज कराया जाय। आमतौर पर तंत्रिका संबंधी पुराने दर्द के लिए माइक्रोसर्जिकल डेनर्वेशन प्रक्रिया की जाती है।

इस अवस्था में आमतौर पर पड़ित को कुछ विशेष एहतियात बरतने के सलाह दी जाती है, जिनमें से कुछ इस प्रकार है।

  • कुछ हफ़्ते के लिए टाइट फिटिंग का अंडरगारमेंट पहनने की कोशिश ना करें
  • अंतर्निहित प्रोस्टेटाइटिस या सेमिनल वेसिकुलिटिस का इलाज करें क्योंकि इसके लिए दीर्घकालिक एंटीबायोटिक उपचार की आवश्यकता होती है।
  • बार-बार स्खलन [सप्ताह में २-३ बार] कुछ रोगियों में दर्द से राहत देता है।

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