कोरोना से बचे लोगों में पहले वर्ष में डायबिटीज का खतरा बढ़ता ही जा रहा है, महामारी के बाद नए मधुमेह रोगियों की एक लहर की उम्मीद की जा सकती है. इसके अलावा, बच्चों और किशोरों में मधुमेह, दृष्टि हानि, किडनी की बीमारी, दिल के दौरे, स्ट्रोक और अंग-काटना एक प्रमुख कारण भी बनकर सामने आया है. ये विचार पंजाब के मोहाली में फोर्टिस अस्पताल के एंडोक्रिनोलॉजी निदेशक डॉ. आर. मुरलीधरन ने व्यक्त किए.
टाइप- 2 डायबिटीज की बढ़ती घटनाओं के पीछे के कारकों को समझाते हुए, मुरलीधरन ने आईएएनएस को बताया कि यह शरीर के इंसुलिन के सामान्य स्तर के प्रतिरोध और इंसुलिन की मांग में वृद्धि को पूरा करने में पैंक्रियाज ( pancreas ) की अक्षमता के कारण होता है. “हालांकि आनुवंशिक कारक एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं, लेकिन कुछ दशकों में घटनाओं में तेजी से वृद्धि के लिए कई पर्यावरणीय कारकों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. शहरीकरण और उसके परिणामस्वरूप लाइफ-स्टाइलमें बदलाव प्रमुख कारण हैं.
ये हैं प्रमुख कारण : “हालांकि जीवन स्तर में सुधार हुआ है, लेकिन नकारात्मक पक्ष गतिहीन आदतें, समय और स्थान की कमी के कारण शारीरिक गतिविधि की कमी, अनियमित काम के घंटे, पारंपरिक आहार से परिष्कृत शर्करा और वसा (Fat) की अधिक खपत और फास्ट फूड की आसान उपलब्धता के कारण भोजन की आदतों में बदलाव, तनाव और पर्यावरण प्रदूषण अन्य प्रमुख योगदानकर्ता हैं.”
महिलाओं की तुलना में पुरुषों में डायबिटीज होने की संभावना अधिक
आईसीएमआर के एक हालिया अध्ययन के अनुसार भारत में डायबिटीज तेजी से एक संभावित महामारी का रूप ले रहा है और वर्तमान में 110 मिलियन वयस्कों में इस बीमारी का पता चला है. आईडीएफ (इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन) 2021 के आंकड़ों के अनुसार, 74.2 मिलियन रोगियों के साथ भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर है. 2000 में, 31.7 मिलियन के साथ भारत मधुमेह से पीड़ित लोगों की सबसे अधिक संख्या के साथ दुनिया में शीर्ष पर था, इसके बाद चीन (20.8 मिलियन) और अमेरिका (17.7 मिलियन) क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर थे. अनुमान के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर डायबिटीज का प्रसार 2021 में 537 मिलियन से बढ़कर 2045 में 783 मिलियन हो जाने का अनुमान है, इसमें सबसे अधिक वृद्धि चीन में होगी और उसके बाद भारत का नंबर आएगा. जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित निष्कर्षो से पता चला है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में मधुमेह होने की संभावना अधिक है. 3 से 5 प्रतिशत मामलों में पाया गया है कि मधुमेह की शुरूआत कोविड-19 के कारण होती है.
कमर में फैट का जमाव मधुमेह का बड़ा कारण
मुरलीधरन ने शनिवार को एक साक्षात्कार में आईएएनएस को बताया, "हां मोटापा टाइप 2 डायबिटीज के लिए प्रमुख योगदानकर्ता है." यहां तक कि शरीर के वजन में वृद्धि को मोटापे के रूप में वर्गीकृत नहीं किए जाने पर भी, पेट और कमर में वसा ( Fat ) के जमाव में वृद्धि मधुमेह का एक बड़ा खतरा पैदा करती है. हमारे देश में बच्चों और किशोरों में मोटापा बढ़ रहा है. 2019-21 में किए गए नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में पाया गया कि पांच साल से कम उम्र के 3.4 प्रतिशत बच्चे अब अधिक वजन वाले हैं, जबकि 2015-16 में यह 2.1 प्रतिशत था.
यूनिसेफ विश्व मोटापा एटलस :2022 के लिए यूनिसेफ के विश्व मोटापा एटलस के अनुसार, 2030 तक भारत में 27 मिलियन से अधिक मोटे बच्चे होने का अनुमान है, जो वैश्विक स्तर पर 10 बच्चों में से एक का प्रतिनिधित्व करता है. “हम जीवन के दूसरे दशक में टाइप 2 मधुमेह की बढ़ती प्रवृत्ति देख रहे हैं. पहले हम सोचते थे कि इतनी कम उम्र में कोई भी मधुमेह टाइप 1 (इंसुलिन पर निर्भर) है, लेकिन भारत में युवा-शुरुआत मधुमेह की रजिस्ट्री के अनुसार 25 प्रतिशत से अधिक युवा-शुरुआत मधुमेह (25 वर्ष से कम आयु) टाइप 2 मधुमेह मेलिटस थे. इसकी संख्या बढ़ने की संभावना है.”
बचपन से ही हेल्दी लाइफ-स्टाइल रखें
मधुमेह से लड़ने के समाधान में बचपन से ही स्वस्थ हेल्दी लाइफ-स्टाइल को शामिल करना, स्कूल में नियमित शारीरिक गतिविधि पर जोर देना, शहरी वातावरण को बाहरी शारीरिक गतिविधि के लिए अनुकूल बनाना और स्वस्थ भोजन विकल्पों पर शिक्षा देना शामिल है. मधुमेह रोगियों पर कृत्रिम मिठास के प्रभाव के बारे में बताते हुए उन्होंने आईएएनएस को बताया कि क्या कृत्रिम (गैर-पोषक) मिठास लंबे समय तक उपयोग में शरीर का वजन बढ़ाती है और दिल के रोग व मधुमेह के खतरे को बढ़ाने में योगदान करती है, यह बहस और जांच का विषय है.
डब्ल्यूएचओ ने हाल ही में बिना डायबिटीज वाले लोगों में वजन घटाने की रणनीति के रूप में गैर-पोषक मिठास का उपयोग न करने की सशर्त सिफारिश जारी की है. इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक आधार हैं. सैकरीन वाले चूहों पर अध्ययन से भूख में वृद्धि देखी गई. मनुष्यों में यह परिकल्पना की गई है कि मीठे स्वाद रिसेप्टर्स को तीव्र रूप से उत्तेजित करके, मस्तिष्क के इनाम क्षेत्रों को अधिक कार्बोहाइड्रेट (शराब या नशीली दवाओं की लत के समान) की लालसा के लिए तैयार किया जाता है, इससे वजन बढ़ता है और प्रतिकूल परिणाम होते हैं. उन्होंने कहा, एक अधिक प्रशंसनीय स्पष्टीकरण यह है कि गैर-पोषक मिठास का उपयोग करने वाले लोगों में सुरक्षा की गलत भावना विकसित हो सकती है और भोजन का अत्यधिक सेवन करने से अत्यधिक क्षतिपूर्ति और वजन बढ़ सकता है.