लगभग एक साल बीतने को आया है, लेकिन कोरोना अभी भी लोगों के मन मस्तिष्क में डर का पर्याय बना हुआ है. सिर्फ कोरोना ही नहीं उसके पार्श्व प्रभावों ने भी शोधकर्ताओं और चिकित्सकों की नींद उड़ा रखी है. वायरस की बदलती संरचना, उसके लक्षणों में अंतर और शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों का नतीजा है की वायरस का टीका आने के बावजूद लोग चिंता और संशय की स्थिति में हैं की क्या वे कारगर होंगे.
इस साल सिर्फ कोरोना ही नहीं, बल्कि उसके कारण होने वाले पार्श्व प्रभावों के चलते शरीर के लगभग सभी तंत्रों में गंभीर बीमारियों के मामले देखने सुनने में आए. श्वसन तंत्र हो, पाचन तंत्र हो या फिर तंत्रिका तंत्र सभी पर कोरोना के गंभीर प्रभाव पड़े. वर्ष 2020 की कोरोना डायरी से सबसे ज्यादा सुर्खियों में आई बीमारियों और उनके शरीर पर पड़े प्रभावों से जुड़ी जानकारियां ETV भारत सुखीभवा अपने पाठकों के साथ साझा कर रहा है.
कोविड-19
कोविड-19 ने सर्वप्रथम चीन देश में तबाही मचाई, जिसके उपरांत धीरे-धीरे पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया. इस रोग को प्रारंभिक नाम 'सार्स कोव 2' दिया गया , जिसे बाद में कोविड-19 कहा गया. सर्वप्रथम खांसी, जुकाम और तीव्र बुखार को कोरोना का लक्षण माना गया. फिर इन लक्षणों में सांस लेने में परेशानी, सूंघने और स्वाद लेने की क्षमता में कमी को शामिल किया गया. इसके उपरांत इन सभी लक्षणों के साथ डायरिया, सिर और बदन में दर्द और कमजोरी और थकान को भी कोरोना का लक्षण माना गया. इस साल बहुत बड़ी संख्या में लोगों ने कोरोना के कारण आपनी जान गवाई. इस फैलने वाले संक्रमण ने लोगों के जीवन जीने का तरीका ही बदल दिया. सामाजिक दूरी के साथ, मास्क की अनिवार्यता और ना सिर्फ अपने बल्कि अपने आसपास के सेनेटाइजेशन को लोगों ने अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाया. जान-माल की हानी और संक्रमण के पार्श्व प्रभावों के कारण इससे अब तक की सबसे गंभीर महामारी कहा जा रहा है.
कोमोरबिड बीमारियों से पीड़ित लोगों पर ज्यादा असर
इस संक्रमण का सबसे ज्यादा असर उन लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ा, जो पहले से ही हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह जैसी कोमोरबिड बीमारियों से पीड़ित थे. इस तरह के रोगों से पीड़ित लोगों के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली यानि इम्यून सिस्टम वैसे ही कमजोर हो जाता है, उस पर कोरोना का वायरस भी सीधे हमारे शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र पर हमला करता है. कोरोना के कारण जान गंवाने वाले लोगों में से एक बड़ा प्रतिशत कोमोरबिड बीमारियों से पीड़ित लोगों का रहा. विशेष तौर पर हृदय रोगियों की बात करें तो आंकड़ों के अनुसार साल 2020 में हार्ट के मामले भी पहले के मुकाबले काफी ज्यादा बढ़ गए. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी सूचना के अनुसार पिछले 20 सालों के मुकाबले इस साल हार्ट अटैक के कारण वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा मौतें हुई. आंकड़ों के मुताबिक, 16 प्रतिशत मौतों का कारण दिल की बीमारी थी.
फेफड़ों और श्वसन तंत्र पर असर
शुरुआत से ही कोरोना को श्वसन तंत्र और फेफड़ों से जुड़ी बीमारी माना गया, क्योंकि इसके लक्षण फ्लू और निमोनिया जैसे थे और कोरोना संक्रमित होने पर सबसे ज्यादा असर भी हमारे फेफड़ों पर ही पड़ता है. कोरोना वायरस से पीड़ितों के शरीर में सबसे ज्यादा परेशानी सांस लेने में ही आती है.
कोरोना संक्रमण तथा उसके पार्श्व प्रभावों के चलते बड़ी संख्या में लोगों में फेफड़ों संबंधी गंभीर रोगों के मामले सामने आए है. जिनके फलस्वरूप बड़ी संख्या में लोगों के फेफड़ों ने वेंटिलेशन और गैस एक्सचेंज फंक्शन तक काम करना बंद कर दिया.
इतना ही नहीं कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद भी लोगों के श्वसन तंत्र पर गंभीर दीर्घकालिक प्रभाव नजर आ रहे है.
पाचन तंत्र और पैंक्रियाज पर असर