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नई रिसर्च में कोरोना वायरस के शरीर पर पड़ने वाले नकारात्मक असर के बारे में हुआ खुलासा

निष्कर्षो से पता चला है कि कोविड 19 संक्रमण को श्वसन रोग के रूप में देखना बंद करना होगा. इसे एक विकार के रूप में देखना शुरू करना होगा जोकि कई अंगों को खराब करता है.

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कोरोना वायरस

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Published : Aug 11, 2023, 10:55 AM IST

सैन फ्रांसिस्को: शोधकर्ताओं की एक टीम ने पाया कि मानव शरीर की कोशिकाओं के ऊर्जा उत्पादक माइटोकॉन्ड्रिया के जीन पर कोरोना वायरस नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. इससे फेफड़ों के अलावा कई अंग खराब हो सकते हैं. माइटोकॉन्ड्रिया मानव शरीर की प्रत्येक कोशिका में पाई जाती है. साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, माइटोकॉन्ड्रिया उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार जीन हमारी कोशिकाओं के केंद्रक में स्थित परमाणु (न्यूक्लियर) DNA और प्रत्येक माइटोकॉन्ड्रियन के भीतर स्थित माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए- MTDNA दोनों में फैले हुए हैं.

SARS CoV 2 माइटोकॉन्ड्रिया को कैसे प्रभावित करता है, इसे समझने के लिए कि शोधकर्ताओं ने प्रभावित मरीजों, पशु मॉडलों से नासॉफिरिन्जियल और ऑटोप्सी ऊतकों के संयोजन का विश्लेषण किया. अध्ययन के पहले लेखक जोसेफ ग्वारनेरी ने कहा कि मानव मरीजों के ऊतक के नमूनों ने हमें यह देखने में मदद दी कि रोग की शुरुआत और अंत में माइटोकॉन्ड्रियल जीन अभिव्यक्ति कैसे प्रभावित हुई. जबकि, पशु मॉडल ने हमें रिक्त स्थान भरने और समय के साथ जीन अभिव्यक्ति के अंतर की प्रगति को देखने में मदद मिली.

अध्ययन में पाया गया कि शव परीक्षण ऊतक में, फेफड़ों में माइटोकॉन्ड्रियल जीन अभिव्यक्ति ठीक हो गई थी, लेकिन माइटोकॉन्ड्रियल कार्य दिल के साथ-साथ किडनी और लिवर में भी दबा रहा. हालांकि जब शोधकर्ताओं ने जानवरों के मॉडल का अध्ययन किया और उस समय को मापा जब फेफड़ों में वायरल लोड अपने चरम पर था तो मस्तिष्क में कोई SARS CoV 2 नहीं पाया गया, वहीं माइटोकॉन्ड्रियल जीन अभिव्यक्ति सेरिबैलम में दब गई थी.

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इन निष्कर्षों से पता चला कि मेजबान कोशिकाएं प्रारंभिक संक्रमण पर इस तरह से प्रतिक्रिया करती हैं, जिसमें फेफड़े शामिल होते हैं, लेकिन फेफड़ों में माइटोकॉन्ड्रियल कार्य समय के साथ बहाल हो जाता है जबकि अन्य अंगों, विशेष रूप से हृदय में माइटोकॉन्ड्रियल कार्य ख़राब रहता है. सह-वरिष्ठ लेखक डगलस सी वालेस ने कहा कि यह अध्ययन हमें इस बात के पुख्ता सबूत देता है कि हमें कोविड-19 को ऊपरी श्वसन रोग के रूप में देखना बंद करना होगा और इसे एक प्रणालीगत विकार के रूप में देखना शुरू करना होगा जोकि कई अंगों खराब करता है.

(आईएएनएस)

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