एक हालिया अध्ययन में सामने आया है कि जीवनशैली में सुधार करके लगभग 5% ऐसे लोग जो कि टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित हैं, इस रोग से मुक्ति पा सकते हैं. गौरतलब है कि मधुमेह विशेषकर टाइप 2 मधुमेह के लिए जीवन शैली जनित कारणों को विशेष तौर पर जिम्मेदार माना जाता है.
चिकित्सक तथा जानकार सभी इस बात की पुष्टि करते हैं कि एक गतिहीन तथा असंतुलित जीवनशैली ना सिर्फ मधुमेह, बल्कि मोटापे सहित कई कोमोरबिटीतथा अन्य रोग व समस्याओं का कारण बनती है. जिसमें से मधुमेह को दुनिया भर में मृत्यु दर बढ़ाने तथा व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली समस्या माना जाता है. लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन में सामने आया है यदि टाइप-2 मधुमेह पीड़ित व्यक्ति भी अपनी जीवनशैली में सुधार करते हैं तो कुल पीड़ितों में से 5% लोग इस रोग से छुटकारा पा सकते हैं
ओपन एक्सेस जनरल पी.एल.ओ.एस मेडिसिन में प्रकाशित स्कॉटलैंड के इस नए डेटा आधारित अध्ययन में पाया गया कि जीवनशैली में सुधार करने से टाइप 2 डायबिटीज के कई पीड़ितों ने इस समस्या से मुक्ति पाई है.
वैश्विक स्तर पर बड़ी समस्या है मधुमेह
गौरतलब है कि वर्ष 2019 तक वैश्विक स्तर पर मधुमेह से पीड़ितों की संख्या में 422 मिलियन की बढ़ोतरी हुई है. वही उम्मीद लगाई जा रही है कि वर्ष 2045 तक यह संख्या बढ़कर सात सौ मिलियन तक पहुंच जाएगी. जिसके लिए बढ़ती आयु, मोटापे की बढ़ती समस्या तथा आसीन जीवन शैली को विशेष रूप से जिम्मेदार माना जा रहा है. इस अध्ययन में बताया गया है कि आमतौर पर मधुमेह से पीड़ित रोगी चिकित्सा के माध्यम से मधुमेह का प्रबंधन या उस पर नियंत्रण करते हैं, इसके अतिरिक्त कुछ लोग गैस्ट्रिक बायपास और गैस्ट्रिक बैंडिंग सहित बेरिएट्रिक सर्जरी की भी मदद लेते हैं.
लेकिन इस हालिया अध्ययन में सामने आया है कि बहुत से लोग सर्जरी के बिना भी टाइप 2 मधुमेह से छुटकारा पा सकते हैं. इस शोध में स्कॉटिश केयर इंफॉर्मेशन – डायबिटीज कोलेबोरेशन (SCI-DC) रजिस्ट्री से प्राप्त डेटा के आधार पर शोधकर्ताओं ने 31 दिसंबर 2019 तक जीवित, 30 वर्ष से अधिक आयु वाले ऐसे 1,62,000 से अधिक व्यक्तियों के डेटा का अध्ययन किया था जो टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित थे. इस अध्ययन में पाया गया था कि उन लोगों में से 7,710 प्रतिभागियों यानी लगभग 5% लोगों में टाइप 2 मधुमेह में सुधार देखा गया.
इस शोध में शोधकर्ताओं ने लगातार 365 दिन तक प्रतिभागियों के ग्लूकोज कम कम करने वाली दवाई का उपयोग नहीं करने के बाद उनके हीमोग्लोबिन ए1c के स्तर के आधार पर जांच के नतीजे दिए थे.