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66 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मियों में कोविड वैक्सीन के बाद हल्के साइड-इफेक्ट : सर्वे

स्वास्थ्यकर्मियों में टीकाकरण के बाद होने वाले साइड-इफेक्ट को लेकर एक सर्वेक्षण किया गया। जिससे पता चला है कि 66 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मियों में गंभीर लक्षण नजर नहीं आए। जिससे यह बात स्पष्ट है कि टीके सुरक्षित है, और उम्र के साथ वैक्सीन की प्रतिक्रियात्मकता में गिरावट देखी गई है।

Health workers had mild side effects after vaccination
स्वास्थ्यकर्मियों में टीकाकरण के बाद साइड-इफेक्ट दिखे

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Published : Feb 15, 2021, 2:32 PM IST

जाने माने लोक स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि टीकाकरण के बाद साइड-इफेक्ट या 'रिएक्टोजेनसी' की संभावना 66 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मियों में होने की संभावना है। ये साइड इफेक्ट एक दिन के भीतर ही काफी कम होने की भी संभावना है।

सर्वेक्षण, जिसमें 5,396 उत्तरदाताओं से प्रतिक्रियाएं संकलित की गई, सभी स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों, जिन्होंने कोविड टीके प्राप्त किए थे, उनमें से 66 प्रतिशत ने टीकारकण के बाद हल्के साइड-इफेक्ट होने की बात कही।

सर्वेक्षण में उत्तरदाताओं ने कहा कि टीकाकरण के बाद उनके द्वारा अनुभव किए जाने वाले सबसे आम लक्षण माइएल्जिया (44 प्रतिशत), बुखार (34 प्रतिशत), सिरदर्द (28 प्रतिशत), इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द (27 प्रतिशत), जॉइंट पेन (12 प्रतिशत), मतली (8 प्रतिशत) और दस्त (3 प्रतिशत) जबकि थकावट (45 प्रतिशत) मुख्य रूप से नजर आए। अध्ययन ने कहा, 'गले में खरास, अनिद्रा, एलर्जी रैश, ठंड लगना, उल्टी, सिंकोप जैसे अन्य लक्षण 1 प्रतिशत या उससे कम दिखाई दिए।'

यह भी कहा गया कि उत्तरदाताओं द्वारा सूचित लक्षण इतने गंभीर नहीं थे कि उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़े। इसके अलावा, सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि 90 प्रतिशत मामलों में, लक्षण या तो अपेक्षा से अधिक मामूली थे या वैक्सीन प्राप्तकर्ता की अपेक्षा के मुताबिक थे।

इस बीच, सर्वेक्षण में बताया गया है कि अधिकांश उत्तरदाताओं के बीच साइड इफेक्ट 24 घंटे से अधिक समय तक नहीं रहा। उत्तरदाताओं में से 37 प्रतिशत (1,225) ने बताया कि उनके लक्षण एक दिन से अधिक लंबे नहीं हुए, जबकि 31 प्रतिशत ने दिखाया कि उनके लक्षण 48 घंटे तक सुस्त रहे, जबकि केवल 6 प्रतिशत ने दावा किया कि उनके लक्षण 48 घंटे की अवधि तक रहे, जबकि सिर्फ 6 प्रतिशत ने 48 घंटे से ज्यादा समय तक लक्षण रहने की बात कही।

आईएएनएस से बात करते हुए, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष, डॉ. राजीव जयदेवन, जो कि सर्वेक्षण के शोधकर्ताओं में से एक हैं, ने कहा कि सर्वेक्षण में से एक प्रमुख बात यह सामने आई है कि टीके सुरक्षित हैं और इससे डरने की कोई आवश्यकता नहीं है।

उन्होंने कहा, 'अगर 5,000 से अधिक लोगों ने इसे (टीके) लेने के बाद और कोई गंभीर समस्या नहीं बताई, तो यह आश्वस्त करता है कि आम जनता वैक्सीन ले सकती है।'

सर्वेक्षण की एक अन्य महत्वपूर्ण खोज उम्र और पोस्ट-टीकाकरण लक्षणों के बीच सहसंबंध था जिसमें सुझाव दिया गया था कि उम्र के साथ वैक्सीन की प्रतिक्रियात्मकता में गिरावट आई है, मतलब उम्र बढ़ने के साथ लक्षण कम होने की संभावना है।

लक्षणों को 20-29 वर्ष की आयु के उत्तरदाताओं में 81.34 प्रतिशत के साथ सबसे ज्यादा पाया गया, इसके बाद 30-39 वर्ष (79.57 प्रतिशत), 40-49 वर्ष (67.94 प्रतिशत), 50-59 वर्ष (58.23 प्रतिशत), 60-69 वर्ष (44.76 प्रतिशत), 70-79 वर्ष (33.73 प्रतिशत), और 80-89 वर्ष (7.43 प्रतिशत) रहे।

सर्वेक्षण के एक अन्य लेखक, डॉ. रमेश शिनॉय, जो कोच्चि (केरल) के एक अस्पताल में सीनियर रेडियोलॉजिस्ट हैं, ने कहा कि सर्वेक्षण से प्राप्त निष्कर्ष यह है कि टीके सुरक्षित हैं, जबकि इसके दुष्प्रभाव प्रकृति में हल्के और थोड़े समय के लिए हैं।

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