नई दिल्ली: कारगिल विजय दिवस के मौके पर आज देशभर में वीर सैनिकों को याद किया जा रहा है. द्वारका के मशहूर कारगिल अपार्टमेंट (विजय वीर आवास) में शहीदों के परिवारों ने पूजा अर्चना की और अपने प्रियजनों को याद किया.
कारगिल शहीदों के परिजनों की सुनिए हालांकि उनकी शिकायत थी कि सरकार शहीदों में भी भेदभाव करती है.
'सरकार करती है शहीदों में भेदभाव'
बिहार की रहने वाली नीलम ने 1999 में अपने पति को खोया था. वो बताती हैं कि दुनियां के लिए तो ये जैसे कल का ही हादसा है. नीलम कहती हैं कि आज भी उनकी वो यादें ताजा हैं. वह कहती हैं कि देश ने उस समय जीत तो दर्ज की थी लेकिन उन्होंने अपने पति को हारा था. नीलम कहती हैं कि उन्हें देश की जीत पर गर्व है लेकिन ये शिकायत भी है कि सरकार शहीदों के नाम पर भी भेदभाव करती है.
बात को आगे बढ़ाते हुए रीमा कहती हैं कि ऑपेरशन विजय में शहीद हुए लोगों को आज भी हर जगह बुलाया जाता है, हर जगह सम्मान दिया जाता है, लेकिन आपरेशन रक्षक, आपरेशन मेघदूत के जवानों और उनके परिवारों को कोई नहीं पूछता. वो सवाल करती हैं कि क्या उनके प्रियजनों की शहीदी, शहीदी नहीं है?
कुछ लोगों को मिलता है सम्मान
मेघना बताती हैं कि 15 महीने की नौकरी के बाद ही उनके बेटे ने देश के लिए अपनी जान गंवा दी थी. साल 2003 में अटल बिहारी बाजपेयी ने उन्हें रहने के लिए ये घर अलॉट भी किया था. हर साल यहां शहीदों की याद में आयोजन भी होते हैं लेकिन चुनिंदा लोगों को ही शहीद के नाम पर सम्मान दिया जाता है.