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यमुना में झाग... हरियाणा और यूपी जिम्मेदार ! - यूपी और हरियाणा को ठहराया जिम्मेदार

दिल्ली में यमुना नदी में झाग पर राजनीति गर्म हो गई है. बीजेपी सासंद मनोज तिवारी ने यमुना में प्रदूषण को लेकर जहां केजरीवाल सरकार को घेरा और सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई की मांग की, तो AAP भी कहां चुप बैठने वाली थी. जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने तुरंत यमुना में झाग के लिए हरियाणा और यूपी सरकार को जिम्मेदार ठहराकर अपना पल्ला झाड़ लिया.

Jal Board vice chairman Raghav Chadha
Jal Board vice chairman Raghav Chadha

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Published : Nov 9, 2021, 11:26 AM IST

नई दिल्ली:उत्तर प्रदेश और हरियाणा करीब 150 एमजीडी गंदा पानी यमुना में छोड़ रहा है. जलबोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार की लापरवाही से यमुना में झाग को लेकर उनसे अपनी कार्य प्रणाली को ठीक करने की अपील की. उन्होंने यमुना में झाग बनने के लिये जलकुंभी के पैधे को जिम्मेदार ठहराना.

यमुना नदी में झाग बनने की खबरों के बीच दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश और हरियाणा से नदी में झाग रोकने के लिए अपनी कार्य प्रणाली में सुधार करने का आग्रह किया है.

यमुना में झाग... हरियाणा और यूपी जिम्मेदार.

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वहीं डीजेबी के उपाध्यक्ष ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि यूपी और हरियाणा की सरकारों को इस बात की परवाह नहीं है कि वे यमुना में गंदा पानी छोड़ रहे हैं. दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष ने कहा कि जल बोर्ड अपनी एसटीपी की क्षमता बढ़ाने पर लगातार काम कर रहा है, ताकि अनुपचारित अपशिष्ट पानी यमुना में नहीं छोड़ा जाए. उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की लापरवाही के कारण बन रहे झाग का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि ओखला बैराज उत्तर प्रदेश सरकार के सिंचाई विभाग के अधीन आता है. उसके ढुलमुल रवैये के कारण चारों तरफ जलकुंभी के पौधे उग आते हैं. यह समझने की जरूरत है कि जब ये जलकुंभी के पौधे सड़ जाते हैं. तब वे फॉस्फेट जैसे सर्फेक्टेंट छोड़ते हैं.

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यमुना नदी में झाग किस तरह बनते हैं. इस संबंध में बताते हुए राघव चड्ढा ने कहा कि फास्फेट जैसे सर्फेक्टेंट वाला पानी जब कालिंदी कुंज में ऊंचाई से गिरता है, तो यह झाग पैदा करता है. बड़ी मात्रा में निकलने वाले झाग पानी की सतह पर तैरते हैं. इस झाग को हटाना बेहद मुश्किल होता है. यमुना नदी के झाग का कारण बताते हुए डीजेबी उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली और सहारनपुर में संचालित कागज और चीनी उद्योग भी सर्फेक्टेंट युक्त गंदे पानी को ओखला बैराज में हिंडन नहर के माध्यम से कालिंदी कुंज के पास यमुना नदी में छोड़ते हैं. इससे झाग बनने लगता है और यमुना में जमा हो जाता है.

राघव ने कहा कि उत्तर प्रदेश का गंदा पानी शाहदरा नाले से और हरियाणा का नजफगढ़ नाले के माध्यम से दिल्ली आता है. दोनों राज्यों के गंदे पानी की वजह से ओखला बैराज का पानी अत्यधिक प्रदूषित हो जाता है. दिल्ली जल बोर्ड अपने अत्याधुनिक सीवेज उपचार संयंत्रों के माध्यम से गंदे पानी को शोधित कर रहा है. इसके अलावा यमुना नदी में शोधित पानी छोड़ने पर लगातार काम कर रहा है. यह अकेले दिल्ली की समस्या नहीं है. यमुना को साफ रखने के लिए उत्तर प्रदेश और हरियाणा के सहयोग की आवश्यकता होगी.

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