नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट में मेडिकल पीजी कोर्स में दाखिले में आरक्षण को लेकर ओबीसी (Other Backward Class) और ईडब्ल्यूएस (Economically Weaker Sections) कोटा आरक्षण की चल रही सुनवाई में देरी होने से नाराज देशभर के रेजिडेंट डॉक्टर्स ने ओपीडी सेवा बाधित कर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है. कुुुछ अस्पतालों में सुबह नौ बजे से लेकर 11:00 बजे तक केवल सांकेतिक धरना-प्रदर्शन किया गया. वहीं ज्यादातर अस्पतालोंं में रेजिडेंट डॉक्टर्स ओपीडी सर्विस और इमरजेंसी सर्विस से खुद को अलग कर लिया.
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के आरडीए के अध्यक्ष डॉ. केशव ने बताया कि हमलोग नीट पीजी एडमिशन प्रक्रिया में हो रही देरी के विरोध में सुबह नौ बजे से लेकर 11 बजे तक सांकेतिक धरना-प्रदर्शन किये. उसके बाद अपने काम पर लौट आये हैं. अगर जल्दी ही हमारी मांगें पूरी नहीं होंगी तो फूल टाइम धरना-प्रदर्शन किया जाएगा.
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कॉउंसलिंग में देरी होने की वजह से नीट पीजी काउंसलिंग प्रोसेस में विलंब हो रहा है. जिसके परिणाम स्वरूप अस्पतालों में पीजी कोर्स में समय पर दाखिला नहीं हो पा रहा है. इसके कारण अस्पतालों में जूनियर रेजिडेंट के नहीं आने की वजह से थर्ड ईयर एवं फोर्थ ईयर के रेजिडेंट डॉक्टर्स पर अस्पताल का भार बढ़ गया है. फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर रेजिडेंट डॉक्टर्स ने सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई जल्दी खत्म कर फैसला देने की अपील की है, ताकि पीजी काउंसलिंग की प्रक्रिया जल्दी पूरी की जा सके और छात्रों का दाखिला संभव हो पाये.
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आरएमएल अस्पताल के आरडीए सदस्य डॉ. फुरकान ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान जूनियर डॉक्टर्स ने कोरोना मरीजों के इलाज में बड़ी भूमिका निभाई थी. लेकिन नए बैच का दाखिला मेडिकल कॉलेज में नहीं होने की वजह से अस्पतालों में जूनियर डॉक्टर की कमी हो गई है. नीट पीजी परीक्षा की तारीख में भी बदलाव किया गया. जो परीक्षा अप्रैल 2021 में होनी थी वह सितंबर 2021 में हुई. परीक्षा में हुई देरी की वजह से नीट पीजी के छात्रों का न सिर्फ एक साल बर्बाद हुआ, बल्कि जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स पर भी काम का काफी दबाव बढ़ गया है. देश के ज्यादातर मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट डॉक्टर्स की काफी कमी हो गई है.