नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बढ़ी हुई हॉस्टल मैनुअल और फीस को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है. इसी क्रम में छात्रों का दस्ता जब संसद की ओर कूच कर रहा था तो सोमवार देर शाम सफदरजंग मकबरे के पास प्रदर्शनकारी छात्रों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया.
इस लाठीचार्ज से पीड़ित कई छात्रों ने ईटीवी भारत को अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि उन्होंने अपनी मांगों को लेकर शांन्तिपूर्ण मार्च निकाला था. जिसे रोकने के लिए पुलिस स्ट्रीट लाइट बंद कर उन पर लाठियां चलानी शुरू कर दी, जिसमें कई छात्र गंभीर रूप से घायल हुए हैं.
'बिना किसी चेतावनी के पुलिस ने लाठियां बरसाईं'
सोमवार देर शाम जेएनयू छात्रों पर हुए लाठीचार्ज का शिकार हुए प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा कि वह बढ़ी हुई फीस के रोलबैक की मांग को लेकर लगातार कुलपति से मुलाकात करने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन जब उनकी ओर से कोई सुनवाई नहीं हुई तो संसद तक अपनी बात पहुंचाने के लिए, उन्होंने शांतिपूर्ण मार्च निकाला. छात्रों ने आरोप लगाया है कि कई बैरिकेड क्रॉस करने के बाद जब वह सफदरजंग मकबरे के पास पहुंचे तो पुलिस ने बिना किसी चेतावनी के उन पर स्ट्रीट लाइट बंद कर लाठियां बरसाना शुरू कर दी.
वहीं एक ऐसा छात्र है जिसकी गर्दन पर काफी चोट आई है. छात्रों ने कहा कि पुलिस वालों ने बहुत बुरी तरह से उसकी पिटाई की और उसे कालकाजी पुलिस स्टेशन में जाकर बिठा दिया. जब हमने पुलिस वालों से कहा कि उसकी गर्दन में काफी दर्द है और डॉक्टर के पास जाना है. पुलिस वालों ने कहा कि हंगामा बंद होने के बाद ही यहां से रिहा किया जाएगा.
'7 बजे तक थाने में बैठाकर रखा'
वहीं छात्र ने कहा कि शाम 7 बजे तक उसी दर्द में कराहते हुए पुलिस स्टेशन पर उसे बैठाकर रखा गया. उसके बाद उसे रिहा किया गया. जब वह कॉलेज के मेडिकल सेंटर आए तो उसे सफदरजंग रेफर कर दिया गया. जहां पर बताया गया कि उसकी गर्दन में काफी चोटें आई हैं और स्थिति ऐसी है कि छात्र अपनी गर्दन दाएं बाएं भी नहीं घुमा पा रहा है.