नई दिल्ली:दिल्ली के ग्रेटर कैलाश इलाके में अग्रवाल मेडिकल सेंटर में फर्जी डॉक्टरों के रैकेट का भंडाफोड़ के मामले में लगातार नई बातें निकलकर सामने आ रही हैं. इससे स्थानीय लोगों ने जहां राहत की सांस ली है, वहीं सरकार व प्रशासन पर भी सवाल उठाए गए हैं कि पॉश इलाके में भी ऐसा मेडिकल सेंटर कैसे चलाया जा रहा था.
2022 में भी दर्ज हुई थी शिकायत: डीसीपी चंदन चौधरी ने बताया कि 10 अक्टूबर 2022 को संगम विहार की एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके पति ने 19 सितंबर 2022 को अग्रवाल मेडिकल सेंटर में पित्ताशय की पथरी निकलवाई थी. शुरुआत में डॉ. नीरज अग्रवाल ने दावा किया था कि एक प्रसिद्ध सर्जन डॉ. जसप्रीत सिंह सर्जरी करेंगे. हालांकि, सर्जरी से ठीक पहले उन्हें बताया गया कि कुछ आपात स्थिति के कारण डॉ. जसप्रीत सिंह ऑपरेशन नहीं करेंगे.
सात शिकायतें दर्ज: इसके बाद डॉ. महेंद्र सिंह के साथ डॉ. नीरज अग्रवाल और डॉ. पूजा ने सर्जरी की. महिला ने अपनी शिकायत में कहा था कि बाद में पता चला कि डॉ. महेंद्र सिंह और डॉ. पूजा फर्जी डॉक्टर हैं. सर्जरी के बाद उसके पति को तेज दर्द हुआ और वह बेहोश हो गया. इसके बाद उसे सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. जांच से पता चला है कि डॉ. जसप्रीत सिंह सर्जरी के दौरान मौजूद नहीं थे और उन्होंने फर्जी दस्तावेज बनवाए थे. लापरवाही से मरीजों की मौत के लिए अग्रवाल मेडिकल सेंटर के खिलाफ दिल्ली मेडिकल काउंसिल में सात शिकायतें दर्ज की गईं जा चुकी हैं.
हाल में भी सामने आया था मामला: डीसीपी ने बताया कि 27 अक्टूबर, 2023 को एक अन्य मरीज जय नारायण की सर्जरी के बाद मौत हो गई. मामले की जांच में एक मेडिकल बोर्ड ने एक नवंबर, 2023 को मेडिकल सेंटर में कमियां पाईं और डॉ. नीरज अग्रवाल द्वारा बार-बार फर्जी दस्तावेज तैयार करने का खुलासा हुआ. मृतक असगर अली की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी की जटिलताओं के कारण रक्तस्रावी आघात बताया गया. इसके बाद मंगलवार को अयोग्य व्यक्तियों द्वारा नियोजित सर्जरी के पर्याप्त सबूतों पर आधार पर चार आरोपियों को गिरफ्तार किया.