नई दिल्ली: राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के आईसीयू में बेड उपलब्ध होने के बावजूद कोरोना संक्रमित मरीजों को आईसीयू में एडमिट नहीं किया जा रहा है. जिन मरीजों को आईसीयू में तत्काल एडमिट करने की जरूरत है उन्हें भी एडमिट नहीं किया जा रहा है. मरीज की मौत हो जाती है और मौत होने के बाद परिजनों से कंसेंट फॉर्म पर साइन करवाया जाता है, जिसमें लिखा होता है कि उनके मरीज की स्थिति खराब है. उनके साथ कुछ भी हो सकता है. अगर उनकी मौत होती है तो इसके लिए अस्पताल प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी. यह मरीज की मौत के बाद किया जाता है.
राजीव गांधी सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल में एक 86 वर्षीय कोविड पीड़ित मरीज की हालत खराब होने और पूरे आईसीयू बेड खाली होने के बावजूद उन्हें आईसीयू में एडमिट नहीं किया गया. जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई. इतना ही नहीं 86 वर्षीय बुजुर्ग की मौत होने के बाद उनके परिजनों से कंसेंट फॉर्म पर दस्तखत करवाया गया. जो उनकी हालत खराब होने के बाद करवाया जाना चाहिए था.
नर्सिंग स्टाफ ने बताया आंखों देखा हाल
अस्पताल में काम कर रहे एक नर्सिंग स्टाफ ने खुद अपनी आंखों देखी स्थिति बताई. उन्होंने एक डॉक्टर का नाम लेते हुए बताया कि किस तरह से वह मरीजों का ठीक से इलाज नहीं करते हैं. नर्सिंग स्टाफ ने बताया कि राजीव गांधी हॉस्पिटल का आईसीयू पूरा खाली है. 86 वर्षीय एक कोरोना पीड़ित मरीज की हालत काफी गंभीर हो गई. नर्सिंग स्टाफ ने डॉक्टर से उस मरीज को आईसीयू में एडमिट करने का आग्रह किया. इस पर डॉक्टर काफी भड़क गए और नर्सिंग स्टाफ को चेतावनी देते हुए कहा कि डॉकटर वह है. उन्हें पता है कि मरीजों का इलाज कैसे करना है. उन्हें उनके काम में सलाह देने की जरूरत नहीं है.
मरीज के सामने ही डॉक्टर ने बोला कि यह अब नहीं बचेगा