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ब्लैक फंगस के बारे में वह सबकुछ, जो आपको जानना है जरूरी

कोरोना की दूसरी लहर अब थमती दिख रही है, लेकिन फंगल इन्फेक्शन के रूप में एक नई महामारी ने लोगों की नींद और चैन छीन लिया है. यह ब्लैक, व्हाइट और येलो रंग में आकर लोगों को काफी डरा रहा है. आखिर क्या है ब्लैक फंगस, कैसे फैलता है संक्रमण और बचाव के लिए क्या करें. जानते हैं विशेषज्ञों से...

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ब्लैक फंगस

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Published : May 25, 2021, 1:38 PM IST

नई दिल्ली:कोरोना महामारी की दूसरी लहर एक कहर बनकर टूट रही है. ऑक्सीजन और बेड की कमी से लोगों की मौत तो हो ही रही है, अब ब्लैक फंगस (काले फफूंद) से लोग बड़ी संख्या में मर रहे हैं. कोरोना मरीज से ठीक हो चुके लोगों की सबसे बड़ी परेशानी और तनाव की वजह ब्लैक फंगस है. खासकर जिन मरीजों के इलाज में एस्टेरॉइड्स का ज्यादा इस्तेमाल किया गया है या जिन मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया है. वे काफी डरे हुए हैं क्योंकि ब्लैक फंगस इन्फेक्शन खासकर उन्हीं मरीजों को हो रहा है.


212 लोगों की हो चुकी है मौत

डॉ अरुण बताते हैं कि आंकड़ों के मुताबिक, पूरे भारत में ब्लैक फंगस इन्फेक्शन के 9 हजार केस सामने आए हैं. 8 राज्यों ने ब्लैक फंगस इंफेक्शन को महामारी घोषित कर दिया है. इस इंफेक्शन से अभी तक पूरे भारत में 212 लोगों की मौत हो चुकी है. देश की राजधानी दिल्ली में भी रविवार तक 300 ब्लैक फंगल इनफेक्शन के केस रिपोर्ट हो गए हैं और यह लगातार बढ़ ही रही है.

क्या है ब्लैक फंगस

डॉक्टर अरुण गुप्ता बताते हैं कि फंगस, बैक्टीरिया और वायरस की तरह ही एक तरह का कीटाणु होता है. फंगस कोई नई चीज नहीं है. पहले भी फंगस इसकी वजह से बीमारियां होती रही हैं. आमतौर पर फंगस नमी वाली जगह पर, ब्रेड और खाने की बासी चीजों पर पनपता है. अमूमन इंसानों में आसानी से फंगस ग्रो नहीं करता है.

ब्लैक फंगस की सारी जानकारी

कमजोर इम्यूनिटी बनाती है शिकार

अगर किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य सामान्य है और उनकी इम्यूनिटी सिस्टम अच्छे से काम कर रही है तो उन्हें इस तरह के इन्फेक्शन होने की संभावना नहीं रहती है, लेकिन अगर किसी वजह से आपकी शरीर की इम्यूनिटी लेवल कम हो गया है तो आपके शरीर में फंगस घुस सकता है और आपको बीमार बना सकता है. कोरोना महामारी की वजह से पहले ही लोगों की इम्यूनिटी काफी कम हो जाती है. ऐसे में फंगल इंफेक्शन होने की आशंका काफी बढ़ जाती है.

स्टेरॉयड के अंधाधुंध प्रयोग से बढ़ा खतरा
डॉ गुप्ता ने बताया कि कोरोना संक्रमण के इलाज में अंधाधुंध एस्ट्रॉयड का इस्तेमाल किया गया, जिसकी वजह से लोगों की इम्यूनिटी पर इसका बुरा असर पड़ा है. ऐसे लोगों को ब्लैक फंगस आसानी से अपना शिकार बना लेता है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ अनिल बंसल भी यही मानते हैं. उनका कहना है कि स्टेरॉयड के अनियंत्रित उपयोग से ब्लैक फंगल को पनपने के लिए एक अनुकूल माहौल दिया.

जानलेवा है ब्लैक फंगल इंफेक्शन
गंगा राम हॉस्पिटल के सीनियर ईएनटी सर्जन डॉक्टर मनीष मुंजाल ने पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशन फंगल इंफेक्शन की स्टडी की है. डॉक्टर मुंजाल बताते हैं कि यह इंफेक्शन काफी जानलेवा होता है. इसमें आंखों की रोशनी चली जाती है. पिछले साल दिसंबर में 15 दिनों के भीतर ही गंगा राम हॉस्पिटल में इस तरह के 13 मामले सामने आये थे, जिनकी आंखों की रोशनी चली गई. इंफेक्शन की वजह से मरीज की नाक और जबड़े की हड्डियों को बाहर निकालना पड़ा.

मृत्युदर 50 फीसदी

डॉक्टर मुंजाल के मुताबिक, इस फंगल इन्फेक्शन की मृत्यु दर 50 फीसदी है. अगर यह इंफेक्शन आंख या दिमाग तक पहुंच जाता है तो मरीज की मौत निश्चित होती है. इस तरह के इंफेक्शन इतने खतरनाक रूप में कभी भी सामने नहीं आए थे, लेकिन कोरोना इनफेक्शन से बाहर आए लोगों में यह एक सामान्य इंफेक्शन के तौर पर सामने आ रहा है.

क्या हैं ब्लैक फंगस बिमारी के लक्षण

डॉ मनीष मुंजाल ने बताया कि अगर फंगल इन्फेक्शन को समय रहते पहचान लिया गया तो मरीज की जान बचाई जा सकती है और उनके चेहरे को खराब होने से बचा जा सकता है. इसका शुरुआती लक्षण नाक बंद होना, आंखों या गाल में सूजन आना, नाक में कफ का जमना है. अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो सतर्क हो जाना चाहिए. बायोप्सी टेस्ट के बाद तत्काल एंटीफंगल थेरेपी की शुरुआत कर देनी चाहिए.

ऐसे करें बचाव

डॉक्टर अरुण गुप्ता ब्लैक फंगल इंफेक्शन से बचाव के लिए सलाह देते हैं कि अगर आप कोरोना से रिकवर हो चुके हैं और स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं तो इसकी डोज बिल्कुल सही होनी चाहिए. डॉक्टर की सलाह पर जितनी जल्दी हो उतनी जल्दी एस्टेरायड का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए. ब्लड शुगर अगर है तो ब्लड शुगर को कंट्रोल करें. मास्क का इस्तेमाल करते समय हाइजीन का ध्यान रखें. अगर सरकार के लेवल पर बचाव के उपाय की बात करें तो सरकार को ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनेशन करना चाहिए. ताकि कोरोना के नए मामले कम हो जाएं. एक बार करोना के नए मामले कम होंगे तो ब्लैक फंगल इंफेक्शन के मामले भी कम हो जाएंगे. ब्लड शुगर को मेंटेन करने के लिए लोगों को जागरूक करना होगा.

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