नई दिल्ली:AIIMS के पूर्व महासचिव डॉ. राजकुमार श्रीनिवास एक बार फिर चर्चा के केंद्र में हैं. उन्होंने एम्स में सुपर स्पेशलिटी कोर्स ( Super Specialty Course) में किसी भी तरह के आरक्षण नहीं दिए जाने और अपने पसंद के कैंडिडेट को फेवर करने का आरोप लगाया है. डॉ. श्रीनिवास के एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया को लिखी चिट्ठी को डॉक्टरों की संस्था फेमा भी संज्ञान में लेते हुए इस पर सवाल खड़ा किया है कि आखिर ऐसा क्यों होता है.
इस कोर्स में किसी भी तरह का आरक्षण भी नहीं दिया जाता है. इसका सीधा फायदा फैकल्टी अपने पसंद के कैंडिडेट को सुपरस्पेशल्टी कोर्स में दाखिला के लिए उठाते हैं. डॉक्टरों की संस्था फेमा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रोहन कृष्णन ने बताया कि उन्हें पता चला है कि AIIMS के RDA के पूर्व महासचिव डॉ. श्रीनिवास राजकुमार ने AIIMS के डायरेक्टर को सुपर स्पेशलिटी कोर्स में दाखिला के लिए भेदभाव करने का आरोप लगाया है.
UG और PG कोर्स में इंटरव्यू नहीं तो सुपरस्पेशलिटी में क्यों ?
डॉ. कृष्णन ने बताया कि डॉ. श्रीनिवास के AIIMS डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया को लिखे लेटर के मुताबिक, एम्स के सुपर स्पेशलिटी कोर्स में दाखिला के लिए एंट्रेंस एग्जाम के बाद इंटरव्यू में भेदभाव किया जाता है. वहां फैकल्टी अपने पसंद के कैंडिडेट को सुपर स्पेशलिटी कोर्स में दाखिले में वरीयता देते हैं. फेमा डॉक्टर एसोसिएशन (FEMA Doctors Association) भी सुपर स्पेशलिटी कोर्स में दाखिले के लिए इंटरव्यू को खत्म करने की मांग करती है.
उन्होंने बताया कि UG कोर्स, MBBS और PG के कोर्स में दाखिले के लिए किसी भी तरह का इंटरव्यू नहीं लिया जाता है तो सुपर स्पेशलिटी कोर्स में दाखिला के लिए अपने पसंद के कैंडिडेट को दाखिले में मदद के लिए इंटरव्यू का प्रावधान किया गया है. प्रवेश परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर एक मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है और इसी मेरिट लिस्ट के मुताबिक सीटें अलॉट की जाती है. यही पारदर्शी प्रक्रिया है, लेकिन इंटरव्यू के कारण पारदर्शिता खत्म हो गई है.