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सुस्त जीवनशैली की वजह से खतरे में है लिवर और हार्ट, एम्स के डॉक्टर्स ने बताई ये बातें

एम्स के गेस्ट्रोइंटेरोलॉजी विभाग के डॉक्टर्स ने बताया है कि लोगों की जीवनशैली के कारण वे लीवर और हार्ट की कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. इस दौरान उन्होंने इन बीमारियों और उनके कारणों पर प्रकाश डाला.

AIIMS professor talked about danger of liver
AIIMS professor talked about danger of liver

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Published : Jul 28, 2023, 10:40 PM IST

डॉ. शालीमार, प्रोफेसर, गैस्ट्रोइंटरोलोजी विभाग

नई दिल्ली: हेपेटाइटिस बी को एड्स से भी अधिक खतरनाक माना जाता है और खराब जीवनशैली के कारण आज विश्व का हर तीसरा व्यक्ति किसी न किसी प्रकार की लिवर की समस्या से पीड़ित है. इसके कई रूप हैं, लेकिन हेपेटाइटिस बी इतना खतरनाक है कि इसके कारण लिवर सिरोसिस भी हो सकता है. यह बातें शुक्रवार को एम्स के गेस्ट्रोइंटेरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. शालीमार ने एम्स में आयोजित एक प्रेस वार्ता में बताई. उन्होंने कहा कि केवल हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए वैक्सीन लेने की आवश्यकता होती है और हेपेटाइटिस ए के लिए वह वैक्सीन लेने की सलाह नहीं देते.

गेस्ट्रोइंटेरोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. समग्र अग्रवाल ने बताया कि हेपेटाइटिस के खिलाफ वैक्सीन एक सीमा तक ही बचाव करता है. इससे अधिकतम 15 साल तक सुरक्षा मिल सकती है. उसके बाद लोगों को दोबारा वैक्सीन लेने की आवश्यकता होती है. यह केवल वयस्कों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हमारे लगभग 35% बच्चों को भी प्रभावित करता है. इसे अक्सर पहचाना नहीं जा पाता क्योंकि शुरुआती चरण में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते, लेकिन गंभीर लिवर रोग वाले कुछ रोगियों में यह बढ़ सकता है.

हर तीसरा व्यक्ति फैटी लिवर से पीड़ित:डॉ. शालीग्राम ने बताया कि फैटी लिवर की बढ़ती समस्या को देखते हुए इसको लेकर एम्स दिल्ली में एक लंबी स्टडी की गई, जिसमें एम्स में 1996 से लेकर 2018 तक लिवर संबंधी बीमारियों का इलाज कराने आने वाले मरीजों के स्वास्थ्य पर नजर रखी गई. इस दौरान कुल 1,400 मरीजों की क्लीनिकल स्टडी की गई, जिसमें पाया गया कि हर तीसरा व्यक्ति फैटी लिवर से पीड़ित है. इसकी तिव्रता अलग-अलग थी.

अधिकतर मरीजों को इससे कोई खतरा नहीं था. आज ऐसे हालात हैं कि खराब जीवन शैली के कारण फैटी लिवर की समस्या बढ़ती जा रही है. 95 प्रतिशत मरीजों में यह समस्या छुपी हुई है. इसका कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होता है, इसलिए उन्हें इसका पता नहीं चल पाता है. तली-भुनी हुई चीजें खाने और शराब का सेवन करने से फैटी लिवर होना लगभग निश्चित है. स्वाद वाले खाने और जंक फूड इसके लिए जिम्मेदार कारक हैं.

शारीरिक शिथिलता फैटी लिवर का सबसे बड़ा शत्रु:डॉ. शालीग्राम ने बताया कि आज हर हाथ में मोबाइल फोन और अधिकतर लोगों के पास टैब, लैपटॉप और कंप्यूटर है. टीवी तो सभी के पास है. इसके चलते लोग एक ही जगह बैठे रह जाते हैं. वहीं बच्चे बाहर खेलने के लिए नहीं जा पाते. इससे शरीर में चर्बी बढ़ जाती है जो आगे चलतक फैटी लिवर, हार्ट डिजीज और डायबिटीज जैसी बीमारियां का एक बड़ा कारण बनती हैं.

वहीं कहीं जाने के लिए लोग घर बैठे ऐप से गाड़ी मंगवा लेते हैं. कोई एक्सरसाइज के लिए अपने लिए 10 मिनट का समय भी नहीं निकालना चाहता है और पैदल नहीं चलते हैं. इन सबका स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है. ऐसा नहीं है कि फैटी लिवर वाले का केवल लिवर ही प्रभावित होता है. उसे हार्ट डिजीज, डायबिटीज और मोटापा भी परेशान करेगा. नियमित व्यायाम करने और शारीरिक सक्रियता बढ़ाकर इससे बचा जा सकता है.

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दवाई लेने से भी लिवर को नुकसान:आमतौर पर सुरक्षित मानी जाने वाली सामान्य दवाओं के ओवर-द-काउंटर उपयोग से भी लीवर को नुकसान हो सकता है. तपेदिक (टीबी), एंटीबायोटिक्स, एंटीपीलेप्टिक दवाओं और कीमोथेरेपी के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं भी लिवर की चोट से जुड़ी होती हैं, जैसे पूरक और वैकल्पिक दवाओं (सीएएम) के रूप में ली जाती हैं.

एम्स नई दिल्ली के एक अध्ययन में बताया गया है कि टीबी के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स से संबंधित लिवर फेल्यर वाले रोगियों में 67% की मृत्यु हो जाती है. तपेदिक-विरोधी दवा से संबंधित लिवर फेल्यर वाले सभी रोगियों में से 60% को तपेदिक (टीबी) की पुष्टि किए बिना दवाएं दी गईं. बिना डॉक्टर के परामर्श के दवाई लेने से बचना चाहिए.

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