नई दिल्ली: सीके बिरला हॉस्पिटल में पिछले दो साल से सर्वाइकल स्पाइनल स्टेनोसिस से पीड़ित एक 33 वर्षीय ऑस्ट्रेलियन मरीज का सफल इलाज किया गया है. बिगड़े संतुलन की वजह से वह बैसाखी के बिना 50 कदम भी नहीं चल पाता था. वह दाहिने पैर में अत्यधिक दर्द और दोनों पैरों के सुन्न पड़ जाने की शिकायत लेकर अस्पताल आया था. ऑस्ट्रेलिया में उसके इलाज के इतिहास में उसका निदान त्रुटिपूर्ण हुआ था, जिसमें उसे निचली स्पाइन में नसें दब जाने के कारण लंबर स्पाइन सर्जरी (पीठ के निचले हिस्से की सर्जरी) कराने का परामर्श दिया गया था.
लेकिन सीके बिरला हॉस्पिटल में परीक्षण करने के बाद डॉक्टर अश्वनी मैचंद, डायरेक्टर ऑर्थोपेडिक्स विभाग ने मरीज में सर्वाइकल स्पाइनल स्टेनोसिस का सही-सही निदान कर लिया. यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब रीढ़ की हड्डी के अंदर का स्थान बहुत छोटा होता है. मरीज को एडवांस्ड रोबोटिक टेक्नॉलॉजी के साथ एमआईएस द्वारा सर्वाइकल स्पाइन सर्जरी कराने का परामर्श दिया गया. इस सर्जरी के लिए हीरे की नोंक वाले न्यूरोसर्जिकल बर का उपयोग किया गया ताकि सर्जरी बिल्कुल शुद्ध और सटीक रहे.
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डॉ. अश्वनी मैचंद ने बताया कि मरीज का वजन ज्यादा होने के कारण यह अत्यधिक जोखिमपूर्ण सर्जरी थी, जिसमें लकवा, आँतों और ब्लैडर पर नियंत्रण खोने और खड़े होने या चलने में असमर्थ होने का खतरा था. सीके बिरला हॉस्पिटल में हमने सबसे आधुनिक रोबोटिक टेक्नॉलॉजी और एमआईएस तकनीक का इस्तेमाल किया और हमें इलाज का बेहतरीन परिणाम मिला. मरीज को खून चढ़ाए जाने या फिर आईसीयू में रखे जाने की भी जरूरत नहीं पड़ी. सर्जरी के दो दिन बाद ही मरीज सीढ़ियों पर चढ़ सकता था और उसे न्यूरो कमजोरी की कोई शिकायत नहीं थी.