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175 किलो के ऑस्ट्रेलियन मरीज की हुई एडवांस्ड मिनिमली इन्वेसिव रोबोटिक सर्जरी

डॉ. अश्वनी मैचंद ने बताया कि 175 किलो के सर्वाइकल स्पाइनल स्टेनोसिस से पीड़ित एक ऑस्ट्रेलियन मरीज की सफल एडवांस्ड मिनिमली इन्वेसिव रोबोटिक सर्जरी की गई. वजन ज्यादा होने के कारण यह अत्यधिक जोखिमपूर्ण सर्जरी थी, जिसमें लकवा, आँतों और ब्लैडर पर नियंत्रण खोने और खड़े होने या चलने में असमर्थ होने का खतरा था.

175 किलो के ऑस्ट्रेलियन मरीज की हुई एडवांस्ड मिनिमली इन्वेसिव रोबोटिक सर्जरी
175 किलो के ऑस्ट्रेलियन मरीज की हुई एडवांस्ड मिनिमली इन्वेसिव रोबोटिक सर्जरी

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Published : Apr 13, 2023, 7:57 PM IST

175 किलो के ऑस्ट्रेलियन मरीज की हुई एडवांस्ड मिनिमली इन्वेसिव रोबोटिक सर्जरी

नई दिल्ली: सीके बिरला हॉस्पिटल में पिछले दो साल से सर्वाइकल स्पाइनल स्टेनोसिस से पीड़ित एक 33 वर्षीय ऑस्ट्रेलियन मरीज का सफल इलाज किया गया है. बिगड़े संतुलन की वजह से वह बैसाखी के बिना 50 कदम भी नहीं चल पाता था. वह दाहिने पैर में अत्यधिक दर्द और दोनों पैरों के सुन्न पड़ जाने की शिकायत लेकर अस्पताल आया था. ऑस्ट्रेलिया में उसके इलाज के इतिहास में उसका निदान त्रुटिपूर्ण हुआ था, जिसमें उसे निचली स्पाइन में नसें दब जाने के कारण लंबर स्पाइन सर्जरी (पीठ के निचले हिस्से की सर्जरी) कराने का परामर्श दिया गया था.

लेकिन सीके बिरला हॉस्पिटल में परीक्षण करने के बाद डॉक्टर अश्वनी मैचंद, डायरेक्टर ऑर्थोपेडिक्स विभाग ने मरीज में सर्वाइकल स्पाइनल स्टेनोसिस का सही-सही निदान कर लिया. यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब रीढ़ की हड्डी के अंदर का स्थान बहुत छोटा होता है. मरीज को एडवांस्ड रोबोटिक टेक्नॉलॉजी के साथ एमआईएस द्वारा सर्वाइकल स्पाइन सर्जरी कराने का परामर्श दिया गया. इस सर्जरी के लिए हीरे की नोंक वाले न्यूरोसर्जिकल बर का उपयोग किया गया ताकि सर्जरी बिल्कुल शुद्ध और सटीक रहे.

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डॉ. अश्वनी मैचंद ने बताया कि मरीज का वजन ज्यादा होने के कारण यह अत्यधिक जोखिमपूर्ण सर्जरी थी, जिसमें लकवा, आँतों और ब्लैडर पर नियंत्रण खोने और खड़े होने या चलने में असमर्थ होने का खतरा था. सीके बिरला हॉस्पिटल में हमने सबसे आधुनिक रोबोटिक टेक्नॉलॉजी और एमआईएस तकनीक का इस्तेमाल किया और हमें इलाज का बेहतरीन परिणाम मिला. मरीज को खून चढ़ाए जाने या फिर आईसीयू में रखे जाने की भी जरूरत नहीं पड़ी. सर्जरी के दो दिन बाद ही मरीज सीढ़ियों पर चढ़ सकता था और उसे न्यूरो कमजोरी की कोई शिकायत नहीं थी.

पैरों के सुन्न होने में भी 50 प्रतिशत की कमी आ गई. मरीज ने कहा कि मैं बहुत चिंतित था क्योंकि मैं 30-40 कदम से ज्यादा नहीं चल पाता था. ऑस्ट्रेलिया में मुझे लंबर स्पाइन सर्जरी कराने का परामर्श दिया गया था और इस सर्जरी के लिए मुझे दो साल और इंतजार करना था. लेकिन सीके बिरला हॉस्पिटल में डॉ. अश्वनी मैचंद से मिलने पर उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि मेरा इलाज एडवांस्ड रोबोटिक टेक्नॉलॉजी द्वारा किया जा सकता है. यह सुन कर मुझमें एक आत्मविश्वास जागा और मैंने मिनिमली इन्वेसिव सर्जरी कराने के लिए अपने आपको तैयार कर लिया. मैं सर्जरी के दो दिन बाद चलने लगा और अब एक दर्दरहित और स्वस्थ जिंदगी जी रहा हूं.
इस विषय में विपुल जैन, चीफ बिज़नेस ऑफिसर, सीके बिरला हॉस्पिटल ने कहा, हम अपने मरीजों को एमआईएस के साथ एडवांस्ड रोबेटिक सर्जरी जैसी आधुनिक मेडिकल तकनीकों द्वारा विश्वस्तर की स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. अन्य मामलों की तरह ही यह मामला भी उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की हमारी विरासत का एक प्रमाण बन जाएगा.

वहीं अमित शर्मा, यूनिट हेड, सीके बिरला हॉस्पिटल, दिल्ली ने कहा, ‘‘पंजाबी बाग में हमारे हॉस्पिटल का उद्देश्य मरीज पर केंद्रित और क्लिनिकली भरोसेमंद इलाज की हमारी विरासत को आगे ले जाना है. इस इलाज की सफलता जटिल से जटिल मामलों में भी हमारी क्लिनिकल उत्कृष्टता को प्रमाणित करती है. हम अपने मरीजों को अत्याधुनिक चिकित्सा सेवाएं प्रदान करते रहेंगे.

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