आईआईटी दिल्ली के 54वें दीक्षांत समारोह में 2357 छात्रों को मिली डिग्री नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(आईआईटी) दिल्ली का 54वां दीक्षांत समारोह शनिवार को मनाया गया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रख्यात वायरोलॉजिस्ट और क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर में माइक्रोबायोलॉजी की प्रोफेसर डॉ गगनदीप कांग मौजूद रहीं. इस दौरान उन्होंने कहा कि आज इस दीक्षांत समारोह में आकर बहुत अच्छा लग रहा है. आज स्नातक, परास्नातक व पीएचडी के छात्रों को डिग्री दी गई है. मैं सभी को अपनी ओर से शुभकामनाएं देती हूं. आप लोग ही आईआईटी दिल्ली की लीगेसी को आगे लेकर जाएंगे.
उन्होंने अपने सफर के बारे में कहा कि मुझे भारत के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों के साथ काम करने का अवसर मिला, जिनमें डॉ. एमके भान भी शामिल हैं. उन्होंने भारत में विकसित पहली वैक्सीन को आगे बढ़ाया था. उन्होंने छात्रों से कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रश्न पूछना कभी बंद ना करें. जिज्ञासा की भावना ही वैज्ञानिक प्रगति को प्रेरित करती है. सवाल पूछिए, चाहे वह व्यक्तिगत हो या सामाजिक. मन से पूछें कि चीजें जैसी हैं, वैसी क्यों हैं ? सवाल पूछें और धारणाओं को चुनौती दें. अनिश्चितता को गले लगाएं, क्योंकि यह उपजाऊ जमीन है जहाँ से नई खोजें निकलती हैं. जल्दबाजी में निर्णय लेने और विश्वास करने से बचें. विभिन्न दृष्टिकोणों के लिए खुले रहें. उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर अपने विचारों को समायोजित करने के लिए तैयार रहें. ऐसा जीवन जीएं जो आपके मातृ संस्थान और देश को गौरवान्वित करे. इस सफर में जिन लोगों से आपका सामना हो उनके दिल और आत्मा को छू जाएं.
आईआईटी दिल्ली का 54वां दीक्षांत समारोह आईआईटी दिल्ली का 54वां दीक्षांत समारोह
क्या बोले आईआईटी दिल्ली के निदेशक
दीक्षांत समारोह में आईआईटी दिल्ली के निदेशक रंगन बनर्जी ने कहा कि अपने साथ डॉ. कांग को पाकर हम बहुत सम्मानित महसूस कर रहे हैं, जो बच्चों में वायरल संक्रमण और रोटावायरस टीकों के परीक्षण में अपने महत्वपूर्ण अनुसंधान व योगदान के लिए विश्व स्तर पर पहचानी जाती हैं. डॉ. कांग हमारी युवा पीढ़ी के लिए एक आदर्श के रूप में काम करती हैं. कहा कि शैक्षणिक वर्ष 2022-2023 पहला वर्ष है जब हम कोविड व्यवधानों से बाहर निकले और पूरी तरह से भौतिक मोड में लौट आए. हम शिक्षा और अनुसंधान में उत्कृष्टता हासिल करने के अपने रास्ते पर चलते रहे, और अपने काम के सामाजिक प्रभाव को बढ़ाने के लिए प्रयासरत रहे. एक प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में, हमने देश भर से सर्वश्रेष्ठ छात्रों को आकर्षित करना जारी रखा है.
दीक्षांत समारोह में इस साल दिए गए अवार्ड
पीएचडी डिग्री 355, एमबीए 148, एमएस (रिसर्च) 40, एम.डेस 22, एम.टेक 519, फाइव ईयर ड्यूल डिग्री प्रोग्राम(एमटेक एंड बीटेक)98, एमटेक अंडर एडवांस्ड स्टेंडिंग 3, फाइव ईयर इंटीग्रेटेड एमटेक इन मैथमेटिक्स एंड कम्प्यूटिंग, एमएससी 218, बीटेक 900 अन्य पाठ्यक्रम में मिलाकर कुल 2357 छात्रों को डिग्री दी गई.
आईआईटी दिल्ली के एलुमनाई को भी अवार्ड
प्रोफेसर, आशुतोष सभरवाल, बी.टेक- (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, 1993) वर्तमान में- प्रोफेसर, रिच यूनिवर्सिटी, ह्यूस्टन, टेक्सास
पवन कुमार जैन, बी.टेक. (केमिकल इंजीनियरिंग. 1972) वर्तमान में प्रबंध निदेशक, आईनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स.
डॉ. नलिन सिंघल, बी.टेक. (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, 1985) वर्तमान में सीएमडी, बीएचईएल.
प्रोफेसर आरती गुप्ता, बी.टेक (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, 1985) वर्तमान में प्रोफेसर, प्रिंसटन विश्वविद्यालय
डॉ. गुरतेज एस संधू, एम.टेक. (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, 1985) वर्तमान में सीनियर फेलो और वीपी, माइक्रोन टेक्नोलॉजी
इसके अलावा गोल्ड अवार्ड डॉक्टर आयुष जैन बैच-बी.टेक. (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, 2013) वर्तमान में सहायक प्रोफेसर, कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय
डॉ. अनंत गोविंद, बीटेक ( इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग 2013)वर्तमान में-सहायक प्रोफेसर, आईआईएससी, बेंगलुरु.
क्या बोले एलुमनाई
आईआईटी दिल्ली एलुमनाई आरती गुप्ता ने कहा कि आईआईटी दिल्ली ने मेरे जीवन पर गहरी छाप छोड़ा है. मुझे खुशी है कि आज मुझे यहां बुलाया गया और सम्मानित किया गया. मेरा यह सम्मान मेरे परिवार को समर्पित है. डॉ. गुरतेज एस संधू ने कहा कि यहां आकर मुझे अच्छा लगा. यह मेरा पहला दीक्षांत समारोह रहा है. कहा कि जीवन में उतार चढ़ाव आएंगे लेकिन कभी हिम्मत नहीं छोड़नी है.
क्या बोले पीएचडी डिग्री पाने वाले छात्र
आईआईटी दिल्ली से पीएचडी करने वाली डॉक्टर अंशिता सिंह तंवर ने कहा कि पीएचडी करने का अनुभव बहुत अच्छा रहा है. मेरी जर्नी साल 2018 जनवरी में शुरू हुई. मार्केटिंग स्पेशलाइजेशन में मैंने पीएचडी की है और रिसर्च भी मार्केटिंग में रहा है. प्रोफेसर हरीश चौधरी के अंडर में मैंने अपनी पीएचडी पूरी की. पीएचडी की यात्रा में मुझे काफी कुछ सीखने को मिला. बीच में कोरोना महामारी की समस्या ने भी शिक्षण पर असर डाला. घर से बैठकर रिसर्च करना काफी चैलेंजिंग था लेकिन संस्थान की तरफ से काफी सपोर्ट मिला.
पीएचडी डिग्री प्राप्त करने वाले कमल अग्रवाल ने कहा कि मेरी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की जर्नी काफी अच्छी रही है. इस दौरान आप कभी अच्छा फील करते हैं कभी लो. ऐसे में अपने प्रोफेसर और परिवार का काफी सपोर्ट मिला. उन्होंने कहा कि यहां पर दाखिला लेना बहुत आसान है. बस अपनी कड़ी मेहनत को जारी रखे और किस्मत पर यकीन करें.
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