नई दिल्ली: हाल के दिनों में दिल्ली और केंद्र दोनों ही सरकारों पर मीडिया में विज्ञापन पर अत्यधिक खर्च करने का आरोप लगा है. समय-समय पर दोनों ही सरकारों ने इसके कुछ आंकड़े भी दिए हैं, लेकिन अब दिल्ली सरकार जहां इसकी जानकारी छुपा रही है. वहीं केंद्र सरकार आधी अधूरी जानकारी दे रही है.
RTI एक्टिविस्ट ने मांगी थी जानकारी दिल्ली सरकार नहीं देे रही जानकारी
कोई भी सरकार जब बजट बनाती है, तो कुछ राशि प्रचार और विज्ञापन के लिए भी रखा जाता है. जिससे सरकार जनता को नई योजनाओं के साथ ही पुरानी योजनाओं और जनजागरण के विषयों की जानकारी पहुंचा सके. आम आदमी पार्टी की सरकार में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विज्ञापन कुछ ऐसे बरसते हैं कि विपक्ष उन्हें विज्ञापन वाली सरकार कहती है.
दिल्ली सरकार से मिले दो जवाब
आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा ने दिल्ली और केंद्र सरकार से विज्ञापनों पर किए जा रहे खर्च का ब्योरा मांगा. उन्होंने बताया कि पहले तो सरकार ने इसके कुछ आंकड़े दिए थे, लेकिन अब आंकड़े छुपाए जा रहे हैं. दिल्ली सरकार से जब आरटीआई के जरिए साल 2017 से निकटम उपलब्ध समय तक की जानकारी मांगी गई, तो सरकार की तरफ से दो जवाब आए. एक परिवहन विभाग की तरफ से जिसने इसे सूचना प्रसार निदेशालय को ट्रांसफर करने की जानकारी दी, तो सूचना प्रसार निदेशालय के लेख विभाग ने बताया कि जानकारी उनके पास नहीं है.
अधूरी जानकारी में 500 करोड़ कबूला
यही सवाल केंद्र सरकार से भी पूछा गया था. इस पर केंद्र की तरफ से जानकारी दी तो गई, लेकिन अधूरी. केंद्र ने अधूरी जानकारी दी. उसके मुताबिक साल 2017 से 31 दिसंबर 2019 तक केवल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर करीब 501 करोड़ खर्च किए, लेकिन किस किस चीज पर कितना खर्च किया. इसकी जानकारी नहीं दी.