नई दिल्ली:विशाखापट्टनम से लाये गए गांजे की खेप को दिल्ली-एनसीआर में खपाया जा रहा है. तस्कर भूसे से भरे ट्रक में गांजे की खेप को छुपाकर ला रहे हैं. यह खुलासा क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तार किए गए तस्करों के गैंग से हुआ है.
पुलिस ने इस गैंग के तीन लोगों को गिरफ्तार कर उनके पास से 800 किलो गांजा बरामद किया है. इसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग ढ़ाई करोड रुपए बताई गई है.
ऐसे पकड़ा गया गांजा
डीसीपी जॉय टिर्की के अनुसार मादक पदार्थ की तस्करी को लेकर क्राइम ब्रांच की टीम काम कर रही थी. इस दौरान एएसआई गोविंद को सूचना मिली कि गांजे की तस्करी में लिप्त एक गैंग के सदस्य ट्रक में गांजा लेकर नजफगढ़ इलाके में आएंगे. इस जानकारी पर एसीपी मनोज पंत की देखरेख में इंस्पेक्टर यशपाल की टीम ने एक ट्रक को जांच के लिए रोक लिया. इसमें सवार जयपाल यादव और विकास को क्राइम ब्रांच ने पकड़ लिया. तलाशी में इस ट्रक से 800 किलो गांजा बरामद हुआ. 25-25 किलो की बोरियों में यह गांजा भरकर रखा गया था.
विशाखापत्तनम से लाया जा रहा था गांजा
पुलिस ने इनके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया. आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वह विशाखापत्तनम से गांजे की यह खेप लेकर आये थे. वहां से बिहार के गया निवासी पुरषोत्तम उर्फ रजनीश ने यह गांजा भेजा है. इस जानकारी पर क्राइम ब्रांच की टीम ने पुरषोत्तम को भी गिरफ्तार कर लिया.
पुरुषोत्तम को पहली बार गांजे की तस्करी में गिरफ्तार किया गया है. वहीं उसका साथी मोहम्मद सलाम इससे पहले क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका है. पुरषोत्तम लगभग आठ वर्षों से गांजे की तस्करी में लिप्त था. पुलिस को आरोपियों ने बताया कि विशाखापत्तनम में अनवर यह गांजा देता है. वहीं दिल्ली में अमित इस खेप को लेता है. पुलिस इन दोनों की तलाश कर रही है.
भूसे के बीच में छिपा रखा था गांजा
पुलिस के अनुसार विशाखापट्टनम में गांजे की यह बोरियां सबसे पहले ट्रक में लादी गई थीं. उसके बाद इसमें भूसे की बोरियां डाल दी जाती थी. यह ट्रक छत्तीसगढ़, राजस्थान एवं हरियाणा होते हुए दिल्ली आता था. रास्ते में इसे जांच के लिए रोका भी जाता, लेकिन गांजा पकड़ा नहीं गया. इसलिए वह बड़ी ही आसानी से अनेक राज्यों को पार करते हुए उसे दिल्ली तक ले आते थे.
गांजा तस्करी से बनाई करोड़ों की संपत्ति
पुरषोत्तम ने पुलिस को बताया कि वह 10 साल पहले तुगलकाबाद निवासी शेरू खान से मिला था. वह शेरू के लिए बिहार से ट्रेन में गांजा लेकर आता था. 10 किलो पैकेट के लिए उसे 2500 रुपये कमीशन मिलता था. इसके बाद वह 20 से 30 किलो गांजा ट्रेन के जरिए लाकर खुद उसे बेचने लगा. इससे उसे 35 से 40 हजार रुपये की कमाई होने लगी.
उसने बिहार के जहानाबाद में टायर की एजेंसी खोल ली थी. उसने गांजे से होने वाली कमाई से काफी संपत्ति अर्जित कर ली थी. 10 पहिये वाले दो ट्रक भी उसके पास हैं. गिरफ्तार किया गया विकास पुरुषोत्तम का कर्मचारी है. वह ट्रक के साथ चलता था और उसे 50 हजार रुपये मासिक वेतन मिलता था. वहीं जयपाल यादव ट्रक चालक है.
वह 2 साल से पुरुषोत्तम के लिए काम कर रहा था. उसे एक ट्रिप के लिए 25 हजार रुपये मिलते थे. वह महीने में दो बार ऐसी गांजे की खेप लेकर दिल्ली आता था.