नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन ने फरवरी 2020 में यहां भड़की सांप्रदायिक हिंसा के दौरान दंगे के अपराध में अपने खिलाफ दर्ज एक प्राथमिकी को रद्द करने की मांग को लेकर सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. हुसैन के वकील ने तर्क दिया कि वर्तमान मामले में सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है और उन्हीं कथित घटनाओं के संबंध में पहले से ही एक और प्राथमिकी दर्ज है.
दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विकास महाजन ने दिल्ली पुलिस के वकील की अनुपलब्धता के कारण इस मामले को 25 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है. ताहिर हुसैन के खिलाफ दिल्ली की अदालत में पहले से ही कई मामले दर्ज हो चुके है, जिसमें तीन साल पहले दिल्ली में हुए दंगों के मामले में पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और अन्य 10 लोगों के खिलाफ कड़कड़डूमा कोर्ट ने आरोप तय कर दिए हैं. कोर्ट ने एमसीडी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और दस अन्य के खिलाफ साजिश, दंगा, हत्या और समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने से संबंधित धाराओं के तहत आरोप तय किए हैं.
दिल्ली की ही एक अदालत ने इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या के मामले में यह फैसला दिया है. कोर्ट ने इस हत्या में ताहिर हुसैन की भूमिका को भी अहम माना है. कड़कड़डूमा कोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयानों से स्पष्ट परिलक्षित होता है कि सभी आरोपी घटनास्थल पर मौजूद थे. कोर्ट ने कहा कि ताहिर ही उस समय भीड़ को उकसा रहा था और इस घटना के दौरान लोगों को निशाना बनाने के लिए कहा गया था.