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सर्व जनहित समाज संस्था ने मनाया बाबा साहेब का महापरिनिर्वाण दिवस

उत्तर पूर्वी दिल्ली के जौहरीपुर एक्सटेंशन में सर्व जनहित समाज संस्था ने बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस मनाया. इस दौरान कार्यक्रम में कई गणमान्य लोग मौजूद रहे.

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Published : Dec 7, 2019, 8:37 AM IST

Sarva Janhit Samaj Sanstha
बाबा साहेब का महापरिनिर्वाण दिवस

नई दिल्ली:सर्व जनहित समाज संस्था ने उत्तर पूर्वी दिल्ली के जौहरीपुर एक्सटेंशन स्थित गोल्डन वाटिका में बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस मनाया. कार्यक्रम में यमुनापार विकास बोर्ड के चेयरमैन और गोकलपुर विधानसभा से विधायक चौधरी फतेह सिंह, धाकड़ छोरा फेम एक्टर उत्तर कुमार, पूर्व निगम पार्षद रेखा रानी शामिल रहे.

सर्व जनहित समाज संस्था ने बाबा साहेब को श्रद्धांजलि दी

सभी ने बाबा साहेब को श्रद्धांजलि अर्पित की. कार्यक्रम में शामिल सभी वक्ताओं का यही कहना था कि हमें बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की शिक्षाओं को ग्रहण करना चाहिए, तभी हम अपने जीवन और समाज को सफल बना सकते हैं.

अतिथियों को किया सम्मानित

संस्था के अध्यक्ष योगेश कुमार, उपाध्यक्ष दिनेश कुमार, प्रबंधक सुशील कुमार, विपिन शर्मा और गोल्डन वाटिका के चेयरमैन जगबीर सिंह और प्रबंधक विनय सामानिया ने कार्यक्रम में शामिल अतिथियों का पुष्प माला से स्वागत किया गया. उन्हें शॉल और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया.

जौहरीपुर एक्सटेंशन में बाबा साहेब का महापरिनिर्वाण दिवस मनाया गया

इस मौके पर एक्टर उत्तर कुमार ने कहा-

ऐसे कार्यक्रमों से बाबा साहेब की शिक्षाएं हमारे समाज तक पहुंचती हैं. ये शिक्षाएं हमारे देश और समाज सुधार के लिए बहुत ही कारगर हैं. बाबा साहेब के परिनिर्वाण दिवस पर उनकी शिक्षाओं को जितना आत्मसात करें उतना ही अच्छा है.

वहीं यमुनापार विकास बोर्ड के चेयरमैन चौधरी फतेह सिंह ने कहा-

हम महापुरुषों के जो भी परिनिर्वाण दिवस मनाते हैं, वो शोध का दिन होता है. ये शोध कि हमारे महापुरुषों ने हमें क्या दिशा दी है, क्या हम उन दिशाओं पर चल रहे हैं कि नहीं. हमने प्रण लिया है कि उनकी शिक्षाओं को कभी मरने नहीं देंगे.

पूर्व निगम पार्षद रेखा रानी ने कहा-

अंबेडकर एक युग पुरुष थे. उनका जीवन ही प्रेरणा है. उनके जीवन की हर एक बात से हम कुछ न कुछ सीख सकते हैं. उनके बताए मार्ग पर चलकर हम न सिर्फ अपना बल्कि समाज का भी कल्याण कर सकते हैं. समाज में उस समय इतनी कुरीतियां थी कि इनके टीचर अपनी किताबों को हाथ तक नहीं लगाते थे. ऐसे माहौल के बावजूद उन्होंने शिक्षा हासिल की. ये अपने आप में प्रेरणा है.

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